रायपुर
![मूल्लार्प परियोजना का रायपुर केन्द्र श्रेष्ठ मूल्लार्प परियोजना का रायपुर केन्द्र श्रेष्ठ](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/170161174836.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 दिसंबर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वर्ष 1995 से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रामपुर में मूल्लापं परियोजना संचालित की जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत छ: दलहनी फसलों जैसे मूंग, उड़द, मसूर, तिवड़ा, राजमा एवं मटर पर अनुसंधान एवं विस्तार कार्य किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप राज्य में दलहनी फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। इस परियोजना के अंतर्गत अब तक ग्यारह किस्मों का विकास किया गया है जिसमें मूंग-2, उडद-1, मसूर-1, तिवडा 2. मटर-4 एवं लोबिया-1 प्रमुख है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के समीक्षा दल द्वारा पूरे देश में दलहनी फसलों के अनुसंधान पर पंचवर्षीय समीक्षा (2016-2020) की गई तथा मूल्यांकन किया गया है। जिसमें मूल्यांकन के आधार पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की मूल्लार्प परियोजना को देश में सर्वश्रेष्ठ केन्द्रों की श्रेणी में चयनित किया है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की मूल्लाप परियोजना के द्वारा गत पांच वर्षों में दलहनी फसलों की कुल तीन किस्मे (उड़द की इंदिरा उड़द प्रथम, मटर की इंदिरा मटर-1 एवं मसूर की छ.ग. मसूर-1) विकसित की गई है। साथ ही कुल 23 सरय तकनीको का विकास किया गया है। इसके अलावा मूंग, उड़द, मटर, तिवडा एवं मसूर फसलों की लगभग 750 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन किया गया। कृषकों के प्रक्षेत्र पर उन्नत तकनीकी के अग्रिम पक्ति प्रदर्शन किये गये, जिसमें प्रदेश के कृषक लाभान्वित हुए है। कृषकों को दलहनी फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीकी का भी प्रशिक्षण दिया गया।
कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. विवेक त्रिपाठी के मार्गदर्शन में प्रमुख अन्देषक डॉ. दीपक कुमार चन्द्राकर एवं अन्य सहयोगी वैज्ञानिक डॉ. मंगला पारीख, डॉ. देवप्रकाश पटेल एवं सुश्री कृष्णा तांडेकर, विभागाध्यक्ष द्वय डॉ. दीपक शर्मा तथा डॉ (मेजर) जी.के. श्रीवास्तव के कुशल निर्देशन में इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि मिली है।