कोरिया
भइयालाल राजवाड़े को अब तक की सबसे बड़ी जीत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 5 दिसंबर। अविभाजित कोरिया की तीनों सीटों पर कांग्रेस की हार को लेकर लोगों में चर्चा आम है, लोग खुलकर कांग्रेस की कार्यप्रणाली के बारे में बोल रहे हंै। कांग्रेस से कांग्रेस के कार्यकर्ता भी खासे नाराज रहे, जिसके कारण हर पोलिंग पर वैसा परिणाम नहीं दिखा जैसा 2018 में दिखा था, इतिहास में पहली बार महल की हार हुई है। जहां कभी कांग्रेस नहीं हारती थी वहां से कांग्रेस की बेहद बुरी हार का सामना करना पड़ा है।
चुनाव में भाजपा के पूर्व मंत्री भइयालाल राजवाड़े को अब तक सबसे बड़ी जीत मिली है, 25 हजार से ज्यादा मतों से जीत कर उन्होने इतिहास बना दिया है, इसके पीछे विधायक अंबिका सिंहदेव का विरोध, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की नाराजगी सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है, कंाग्रेस शहरी क्षेत्रों से तो काफी मतों से हारी ग्रामीण क्षेत्रों में भी उम्मीद से ज्यादा घटिया प्रदर्शन देखा गया।
कांग्रेस हैरान है कि आखिर इतने बड़े अंतर से हार कैसे हुई, वहीं लोगों का कहना है कि इस हार के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों की भागीदारी और मेहनत है अकेले भाजपा की नहीं। सब अपने अपने हिसाब से आंकलन लगाने में जुटे हुए है। विकास को लेकर अंबिका सिंहदेव सजग रही, बड़े नेताओं के विरोध के बावजूद उन्होने नए जिला अस्पताल की नींव रखी जो बनकर तैयार हो रहा है, महिला और बच्चों का अस्पताल पूर्ण होने के करीब है। परन्तु उनकी निजी विरोध उनकी हार का कारण बना।
सत्ता के कई केन्द्र
कांग्रेस की हार के पीछे जिले में सत्ता के कई केन्द्र रहे हैं। सिर्फ विधायक तो सत्ता की एक केन्द्र थी, जबकि यहां डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की अलग चलती थी तो यहां सांसद ज्योत्सना महंत के पति विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास मंहत के निर्देषो का अलग असर होता था, जो काम विधायक से नहीं करवा पाते थे वो टीएस सिंहदेव या डॉ. महंत से काम करवा ले आते, और नगरीय प्रशासन मंत्री शिवकुमार डहरिया और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से काम करवा कर आ जाया करते थे। इस तरह से विधायक के खिलाफ नाराजगी बढ़ती चली गई। पूरे 5 साल सत्ता के कई केन्द्र रहे।
विधायक के खिलाफ नाराजगी
बैकुंठपुर विधायक अंबिका सिंहदेव के खिलाफ लोग खुलकर नाराज दिखे, दरअसल, पहली बार विधायक बनी श्रीमती सिंहदेव को राजनीति का अनुभव बेहद कम था और यही उनकी हार का कारण बना। यही कारण था मतगण्ना के एक भी राउंड में वो भाजपा से बढ़त नहीं बना पाई, 5 वर्ष के कार्यकाल मेें उन्होनें रेत के ट्रेक्टर पकड़े, परन्तु रेत के रेट आसमान छूने लगे, उस पर कोई नियंत्रण नहीं हो पाया। कई कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को थाने में बैठना पड़ गया, कांग्रेस के दिग्गजों के यहां पुलिस के छापे पड़ गए। कई कांग्रेसियों की माने तो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं व उनके कार्यकर्ताओ की सुनवाई नहीं होती थी। निजी दुष्मनी होने लगी यहां कारण था कि उनका विरोध बढ़ता गया।
भ्रष्टाचार पर चुप्पी पड़ी भारी
कोरिया जिले में डीएमएफ, स्वास्थ्य विभाग में हुए भ्रष्टाचार पर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी कांग्रेस की हार का बड़ा कारण बनी, वर्ष 2018 जिस व्यक्ति के कारण स्वास्थ्य विभाग भाजपा से नाराज होकर कांग्रेस की तरफ चला गया था उसी के कारण कांग्रेस के खिलाफ पूरा स्वास्थ्य महकमा देखा गया। इस बार उसी के कारण काग्रेस से दूरी बना ली। बीते एक वर्ष से इनकी कोई सुनने को तैयार नही था।
यहां हुई तमाम खरीदी को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने स्वास्थ्य मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक को शिकायत भी की, परन्तु उसका कोई असर नहीं पड़ा, जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे रहे। जिससे आम कांग्रेस का कार्यकर्ता के साथ दिग्गज नेता भी बेहद नाराज रहे। डीएमएफ में रायपुर के सेठो की मनमर्जी चली। स्थानीय लोगों को काम नहीं मिला। अधिकारी परेशान होते रहे। वहीं राजस्व के कामकाज से भी लोग बेहद परेशान रहे, राजस्व अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों का साथ मिला जबकि जनता भटकती रही।
सोशल मीडिया पटा है भाजपा की जीत से
भाजपा की जीत से सोषल मीडिया पटा हुआ है, जीत के पोस्ट के साथ कई लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं, कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त पोस्ट देखे जा रहे हंै। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को राहुल गांधी के द्वारा पनौती कहे जाने को लेकर भी काफी गुस्सा देखा जा रहा है, सोशल मीडिया में कांग्रेस की हार के बाद लोग पूछ रहे हैं कि आखिर पनौती कौन है, वहीं बैकुंठपुर के स्थानीय मुद्दों पर भी लोग कटाक्ष कर रहे हैं।