कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 21 दिसंबर। विधानसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में आने के बाद अब लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में अविभाजित कोरिया की तीनों सीट पर बढ़त बनाना बहुत बड़ी चुनौती होगी, जबकि भाजपा के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव से ज्यादा लीड से जीत दिलाने का लक्ष्य होगा।
कोरबा संसदीय सीट में अविभाजित कोरिया की तीनों विधानसभा सीट समाहित है। बीते 3 चुनाव से इस सीट पर पूर्व सांसद डॉ. चरणदास महंत के परिवार का दबदबा रहा है, यहां तीन चुनाव में 2 बार जीत हासिल की है।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में डॉ. महंत को जीत मिली, और केन्द्र की यूपीए सरकार में डॉ. महंत कृषि राज्य मंत्री बनाए गए, 2014 के लोकसभा चुनाव में डॉ. चरणदास महंत को भाजपा के एकदम नए चेहरे बंशीलाल महतो ने हराया, मोदी लहर के लपेटे में डॉ. महंत भी आ गए थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ. महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को कांग्रेस ने यहां से उतारा और उन्होंने जीत हासिल की। अब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बमुष्किल दो माह रह गए है, परन्तु कांग्रेस के लिए तीनों सीट पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करके चुनाव में उतरना कठिन काम है।
पिछले चुनाव की बात करें, तो वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बंपर जीत मिली, परन्तु 4 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में अविभाजीत कोरिया की तीनों सीटों पर कांग्रेस का करारी हार का सामना करना पड़ा। कोरिया से मिली हार का दर्द कई बार जुबां पर आता रहा और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव की तीनों सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।
जिला विभाजन का आरोप
कोरिया के विभाजन कर नए जिला एमसीबी बनाए जाने की बात सबसे पहले डॉ. महंत ने ही कही थी, कहीं न कहीं नए जिले के निर्माण में उनकी बड़ी भूमिका रही है। बैकुंठपुर में इसका बड़ा असर देखा गया, यहां के लोग बैकुंठपुर विधायक को जिम्मेदार बताते रहे, तो चिरमिरी में भी बड़ा आंदोलन चला। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का नए जिले के निर्माण का रत्ती भी भी लाभ नहीं मिला, लोकसभा चुनाव में भी इसका कितना लाभ मिलता है, यह देखने वाली बात होगी।
गुटबाजी चरम पर
सम्पन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर रही, सेम साईड गोल मारने की तर्ज पर चुनाव लड़ा गया, तीनों सीटो पर कांग्रेस का गुटबाजी खत्म करना बहुत बड़ी चुनौती है। अलग-अलग नेताओं के गुट होने कारण एकजुटता नहीं दिखती है, वहीं अब राज्य में भाजपा की सरकार है, विधानसभा चुनाव में विधायकों के खिलाफ माहौल था।