कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर (कोरिया), 9 जनवरी। कोरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग मेंं संचालित केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रमों का हाल बेहाल है। जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि कई महिनों से दर्जनों प्रसूताओं को नहीं मिली है।
शिकायतें हैं कि राशि की मांग के लिए जब वे जाती हंै तो उन्हें बैंक खाता देखने के लिए कह कर मामले को टाल दिया जा रहा है। ऐसा ही हाल अन्य योजनाओं का है, वहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।
कोरिया जिले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण जननी सुरक्षा योजना की राशि महीनों से महिलाओं को नहीं मिली है। महिलाएं द्वारा बार-बार कार्यालय के चक्कर लगा रही है। जानकारी अनुसार संस्थागत डिलीवरी करवाने वाली महिलाओं को सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना के तहत सहायता राशि प्रदान की जाती है। शहर के जिला अस्पताल, के साथ पटना सोनहत के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र उप स्वास्थ्य केद्रो में हुए सुरक्षित प्रसव में हितग्राही कई दर्जन महिलाओं को राशि नहीं मिल पाई है। ये महिलाएं बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर परेशान हो चुकी हैं।
पटना क्षेत्र की शिवकुमारी का कहना है उनका प्रसव उप स्वास्थ्य केन्द्र में हुआ कई बार सहायता राशि की मांग करने के बाद भी आज दिनांक तक राशि नहीं मिल सकी। ग्राम पंचायत दुधनिया की सोनमति, मानकुंवर, गीता को सहायता राशि नहीं मिली है। उनका कहना है कि उन्होंने पूरी जानकारी के साथ सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन दे रखा है परन्तु राशि नहीं आई।
इसी तरह बैकुंठपुर की मधु कुमारी, मिशिका, निशा, कंचनपुर की देवकुमारी राजवाड़े, क्रांति, गीता रानी, विमला राजवाड़े का कहना है कि उनकी डिलीवरी होने के बाद कई बार आवेदन देने मितानीन के साथ जाकर सहायता राशि की मांग की गई, परन्तु अब तक उनके खाते में नहीं आई है।
इसी तरह सीतापुर की संगीता, रैना, हिरामति, अमगांव की सुनीता यादव, चेरवापारा की रिधी, खरवत की तारा, सरडी की सविता, मेधा, ललिता, सरिता, सुनीता को भी राशि नहीं मिल पाई है।
क्या है जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है। जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही है। यह स्कीम जननी योजना के नाम से जानी जाती है। जननी योजना 2005 में शुरु हुई है। योजना के तहत संस्थागत प्रसव कराने वाली शहरी महिलाओं को 1000 व ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपए बतौर प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। खासकर ग्रामीण इलाकों के पीएचसी व सीएचसी में होने वाले प्रसव के बाद चेक से मिलने वाली राशि के लिए हितग्राहियों को 15 दिनों तक भी इंतजार करना पड़ता है।