दन्तेवाड़ा

बचेली-किरंदुल में दिखा बंद का असर, उत्पादन ठप
16-Feb-2024 10:22 PM
बचेली-किरंदुल में दिखा बंद का असर, उत्पादन ठप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बचेली/किरंदुल, 16 फरवरी। केन्द्र सरकार के मजूदर, किसान व जन विरोधी नीतियों के खिलाफ केन्द्रीय ट्रेड यूनियन, राष्ट्रीय फेडरेशनों व संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर 16 फरवरी को बुलाये गये भारत बंद का असर दंतेवाड़ा जिला के बचेली व किरंदुल क्षेत्र में भी देखने को मिला। संयुक्त खदान मजदूर संघ (एसकेएमएस) एवं मेटल माईन्स वर्कर्स यूनियन (इंटक) ने बचेली व किरंदुल दोनों परियोजना में इस बंद में अपना समर्थन करते हुए शुक्रवार को हड़ताल की।

बचेली व किंरदुल के सीआईएसएफ चेकपोस्ट पर दोनों ही श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों व सदस्यों ने केन्द्र सरकार के नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की गई। शुक्रवार को तीनों पालियों में कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर नहीं गये और हड़ताल की। एनएमडीसी की दोनों परियोजना बचेली व किंरदुल में लौह अयस्क का उत्पादन नहीं हुआ।

इस दौरान एसकेएमएस यूनियन के अध्यक्ष जागेश्वर प्रसाद ने कहा कि केन्द्र सरकार के मजदूर नीतियों जो पहले हमारे हित में थी। 40 संहिताएं पूर्व में मजदूरो के हित में थी, उसे तोडक़र सरकार 4 कर काला कानूनों में बदला है। मजदूर पहले से शोषण के शिकार थे इन कानूनों के लागू होने के बाद में और भी शोषित होंगे, जिसका हम पूरजोर विरोध करते हंै।

एनएमडीसी व रेल्वे को करोड़ों का नुकसान

इस हड़ताल के कारण दोनों परियोजना बचेली व किंरदुल में तीनों पालियो में लौह अयस्क का उत्पादन नहीं हो पाया है। जानकारी के अनुसार में ऐसे में एनएमडीसी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। अधिकारियों को कार्यस्थल पर जाने से चेकपोस्ट पर श्रमिकों द्वारा रोका गया। जिसके बाद अधिकारियों ने अपना अटेंडेंस गेस्ट हाउस में दिया।

रेल्वे से मिली जानकारी के अनुसार बचेली परियोजना से 12 रेक एवं किरंदुल से 7 रेक प्रतिदिन जाता है। आज हड़ताल के कारण नहीं गया। जिसमें लगभग 8-9 करोड़ रूपये का रेल्वे का नुकसान हुआ है।

राष्ट्रीय  स्तरीय व स्थानीय मांगें

इनकी मांगेा में सार्वजनिक उपक्रमो के विनिवेश व निजीकरण पर तत्काल रोक लगाई जाये। श्रमिको के लिए न्यूनतम वेतन 26 हजार रू प्रतिमाह निर्धारित किया जाये। 4 श्रम संहिताओं को तत्काल निरस्त करे। नौकरियो के अनुबंधीकरण एवं निश्चित अवधि के रोजगार की नीति पर तत्काल रोक लगाई जाये। मनरेगा को मजबूत करते हुए प्रतिवर्ष 200 दिनों के काम और 600 रू प्रति दिन वेतन को सुनिश्चित किया जाये। केन्द्र व राज्य सरकार के कर्मचारियो शिक्षको के लिए नई पेंशन स्कीम पर रोक लगाते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाए समेत अन्य मंागे शामिल है। वही स्थानीय मांगो में एनएमडीसी में भर्ती प्रक्रिया जल्दी चालू करे, बचेली काम्पलेक्स में दिए जाने वलो हिल अलांउस की राशि को जल्द बढ़ाया जाये। एनएमडीसी में उत्पादन और अनुरक्षण के कार्यों में आउटसोर्सिंग बंद किया जाए।

एके सिंह व राजेश संधु के नेतृत्व में किरंदुल में हड़ताल

एनएमडीसी किंरदुल परियोजना के श्रमिक संगठन एमएमडब्ल्यू के सचिव एके सिंह व एसकेएमएस सचिव राजेश संधु के संयुक्त नेतृत्व में हड़ताल की गई। किरंदुल में हड़ताल का व्यापक असर दिखा। किंरदुल में प्रशासनिक भवन के सामने सीआईएसएफ चेकपोस्ट पर छनन संयंत्र जाने वाले मार्ग पर पंडाल लगाकर कर्मचारियो ने हड़ताल का समर्थन किया।

इस बंद में श्रमिक संगठन ने नगर के व्यापारियों से समर्थन करने की अपील की। जिस पर नगर के सभी दुकानें भी बंद रही। सभी व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद कर श्रमिक संगठन का साथ देते हुए इस बंद में शामिल हुए। स्कूल, मेडिकल स्टोर्स, पेटेल पंप, कॉलेज, बैंक, शासकीय कार्यालय खुले रहे। दोपहर के बाद सभी दुकानें भी खुल गई।

प्रबंधन ने श्रमिक संगठनों से हड़ताल पर नहीं जाने की थी अपील

परियोजना प्रबंधन ने श्रमिक संगठनो व सभी कर्मियों से हड़ताल पर न जाने की अपील की गई थी। प्रबंधन का कहना है कि एनएमडीसी प्रबंधन सदैव कर्मचारियों के यथाचित मांगों को पूरा करने में तत्पर रहा है। विभिन्न मंागों के संबंध में 2 फरवरी को एसकेएमएस एवं एमएमडब्ल्युयू द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेखित तर्क संगत मांगों के समाधान हेतु प्रबंधन प्रयासरत है। इस विषय पर संयुक्त रूप से बैठक कर सकारात्मक समाधान निकाला जा सकता है।

हड़ताल के दौरान एसकेएमएस बचेली के अध्यक्ष जागेश्वर प्रसाद, सचिव टीजे शंकरराव, इंटक अध्यक्ष देवाशीष पॉल, किंरदुल इंटक सचिव एके सिंह, एसकेएमएस सचिव राजेश संधु, अध्यक्ष के साजी समेत अन्य पदाधिकारी व सभी सदस्य, ठेका श्रमिक हड़ताल में शामिल रहे।

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