कोण्डागांव
बंकिम साना
कोण्डागांव, 18 फरवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। जिला अंतर्गत मर्दापाल अंचल का ग्राम पंचायत बेचा अब भी शासन प्रशासन के विकास के दावों से मिलो दूर है। यहां बुनियादी सुविधाओं के तौर पर 1993 से स्कूल का संचालन तो हो रहा है लेकिन स्कूल के लिए आज तक भवन नहीं बन पाया है। आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी बच्चें खुले आसमान के नीचे पेड़ के छाव में बैठकर अपना अध्यापन कार्य कर रहे हैं। ऐसा केवल कोण्डागांव जिला के ग्राम पंचायत बेचा के प्राथमिक शाला एवं उच्च प्राथमिक शाला की स्थिति नहीं है, बल्कि जिला के 22 स्कूल ऐसे हैं जो भवन विहीन संचालित हो रहे हैं।
वर्ष 1955 में ब्लैक एंड वाइट मूवी के दौर में हिट मूवी आई थी जिसका नाम हैं श्री 420। इस मूवी के एक गाना इचक दाना बिचक दाना दाने ऊपर दाना.... में नायिका पेड़ के नीचे बच्चों को खुले आसमान में ब्लैक बोर्ड में इमला पढ़ रही होती है। वर्ष 1955 के उसे परिदृश्य की हकीकत या झलक आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी कोण्डागांव जिला के बेचा में दिखाई दे रहा है। यहां खुले आसमान के नीचे एक शिक्षिका बिल्कुल इसी तरह से बच्चों को इमला पढ़ रही है, क्योंकि कोण्डागांव जिला के ग्राम पंचायत बेचा में आजादी के 75 वर्ष बाद भी स्कूल भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। पूर्व के समय में यह पूरा क्षेत्र नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था जिस कारण विकास इस क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाती थी। लेकिन अब परिस्थितियों बदल चुकी है। इसके बावजूद ग्राम पंचायत बेचा विकास के राह ताक रहा है, तो वही विकास के राहत ताक रहे बेचा में स्कूली बच्चे पक्के भवन के लिए इंतजार कर रहे हैं। अपनी मासूम आंखों से स्कूली बच्चे यह सपना देख रहे हैं कि कभी तो उनके गांव में भी अन्य स्कूल की तरह पक्के भवन या स्कूल भवन का निर्माण हो पाएगा।
कोण्डागांव जिला के अत्यंत नक्सली संवेदनशील ग्राम पंचायत बेचा एकमात्र ऐसा स्कूल नहीं है, जहां खुले आसमान के नीचे स्कूल का संचालन किया जा रहा हो। कोण्डागांव जिला में कुल 22 स्कूल ऐसे हैं जहां स्कूलों के लिए भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। वही 13 स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक तक की पद स्थापना नहीं हुई पाई है। शिक्षक रिक्त होने से यहां किराए के शिक्षक यानी ट्विटर और अटैक के शिक्षकों के भरोसे शिक्षा का आलाप जलाया जा रहा है। पूरे जिले में 1200 से अधिक शिक्षकों की कमी चिंताजनक बनी हुई है।
कोण्डागांव जिले के ग्राम पंचायत बेचा में शिक्षा अध्यापन कार्य के लिए एक महिला टीचर जागृति ध्रुव की भी नियुक्ति की गई है। संवेदनशील क्षेत्र में महिला शिक्षिका की नियुक्ति सुरक्षा नियमों पर सवाल हैं। वही इस स्कूल तक जाने के लिए दो नदियों के नालों को पार करना पड़ता है। बारिश के दौरान नदी में बहाव तेज होता है। इस समस्या से निपटने के लिए शिक्षक नाव का सहारा लेते है।
शिक्षकों ने जानकारी देते हुए बताया कि, इस वर्ष नदी पार कर स्कूल आते समय नाव पलट गई थी। किस्मत अच्छी थी कि किसी तरह का जान माल का नुकसान नहीं हुआ।