बलौदा बाजार
रबी फसल में किसानों ने 24 हजार एकड़ में लगाया धान, गर्मी में होगी दिक्कत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 22 फरवरी। जिले में लगातार भू-जल स्तर का ग्राफ गिर रहा है। जिले के 40 से 50 गांव डार्क जोन में है, इसके बाद भी अंधाधुंध तरीके से जल दोहन किया जा रहा है।
जिले के भूजल सर्वेक्षण के आंकड़ों की बात करें तो जिले में 88.70 फ़ीसदी के हिसाब से भूजल दोहन किया जा रहा है, इसके चलते 6970 सेंटीमीटर प्रतिवर्ष वाटर लेवल का ग्राफ गिर रहा है। जिले के कई इलाकों में तेजी से अंडरग्राउंड वॉटर लेवल में गिरावट दर्ज की जा रही है। जिले में जो तालाब है, उनका प्रशासन अभी तक अतिक्रमण से मुक्त नहीं कर पाया है , 90 फीसदी सरकारी और निजी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा ही नहीं है, जिसमें लगे हैं, वह बंद पड़े हैं, इसके चलते जिले में जल संचयन को पलीता लग रहा है।
डार्क जोन फरवरी में ही, भूजल स्तर 300 से 350 फीट तक नीचे
गर्मी आते ही पेयजल संकट व निस्तार की समस्या कोई नई बात नहीं है। सबको पता है कि गर्मी में नदी-तालाबों व भूजल का स्तर नीचे चला जाता है। फरवरी में ही भूजल स्तर 300 से 350 फीट तक नीचे चला गया है । मार्च-अप्रैल में गर्मी बढऩे के साथ ही समस्या विकराल होती जाएगी। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति लोगों की उदासीनता और ग्रीष्मकालीन फसल पर अत्यधिक पानी का दोहन इस समस्या का प्रमुख कारण है।
गर्मी में इन गांव में स्थित होती है खराब
अधिक खराब स्थिति धाराशीव बगबुडा बम्ह्नपुर सीतावर परसपाली भालूकोना ढाबाडीह खैंदा अमलीडीह पैदा खैरा कोतरगढ़ कुमारी अहिलदा चांगोरी पैसर अमलीडीह बाजार भाटा कार्ड करदा कोरिया तिल्दा लाटा पैजनी जुरा लाहौद ढनढनी मुंडा लवनबंद चैराभाठ जमडीह कोहरौद बुधवा कोनी बंजर बगबुडवा परसवानी धौराभाटा पिंडारी बोरतरा बुचीपार रोहना मनोहरा हरिनभ_ा टिमनी चक्रवाए डेकुना खरवे कोवाताल सकरा मानाकोनी मिर्गिदा आदि ग्रामों में पेयजल संकट खड़ा हो चुका है।
बड़े किसान जागरूक होंगे तो पानी नहीं होता बर्बाद
एक एकड़ रबी फसल धान में करीब 24 लाख लीटर पानी की खपत होती है। बड़े किसान पानी की व्यर्थता को रोकते हैं तो वाटर लेवल को डाउन होने से बहुत हद तक बचाया जा सकता है।
52 करोड़ की धान में होगी 65 करोड़ की बिजली खर्च
बिजली विभाग के कार्यपालन अभियंता वी के राठिया ने बताया कि कृषि के लिए 20 हजार पंप कनेक्शन है जिसमें 3 एचपी के पंप के लिए 6 हजार यूनिट तक बिजली मुफ्त व वहीं 5 एचपी पंप वाले किसानों को 7500 यूनिट फ्री दी जाती है, जो एक सीजन में फसल लेने के लिए पर्याप्त है। किसान औसत 13 करोड़ यूनिट बिजली की खपत करते हैं अगर 5 यूनिट के हिसाब से भी गणना की जाए तो 65 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
कृषि उप संचालक दीपक नायक के अनुसार इस बार लगभग 24 हजार एकड़ में ग्रीष्मकालीन फसल ली जा रही है। प्रति एकड़ 14 क्विंटल औसत धान उत्पादन के हिसाब जिले में कुल 3 लाख 36 हजार क्विंटल ग्रीष्मकालीन धान का उत्पादन होगा।
अब अगर कृषि विभाग से मिली इस जानकारी के अनुसार ही देखा जाए तो धान का औसत मूल्य प्रति क्विंटल 2183 रुपए है, ऐसे में कुल उत्पादित फसल 52 करोड़ रुपए की होगी, जबकि इतने उत्पादन में सिर्फ बिजली के ही 65 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
खेतों के बोर 24 घंटे अनवरत पानी फेंकते हैं
जिले के किसान इस वर्ष 9 हजार 600 हेक्टेयर यानी करीब 24 हजार एकड़ जमीन पर ग्रीष्मकालीन धान की फसल ले रहे हैं, जिसके लिए करोड़ों लीटर पानी की खपत हो रही है। सबसे अधिक पानी की बर्बादी खेतों को सिंचित करने के नाम पर बोर से हो रही है।
जिले में करीब 22 हजार बोर उपयोग किए जाते हैं, जिसमें सिंचाई पंप लगाए जाते हैं। एक बार पंप का बटन ऑन करने के बाद वह तभी बंद होता है जब बिजली गोल होती है वरना यह पंप 24 घंटे अनवरत पानी फेंकते रहते हैं। कभी-कभी किसान भी बटन चालू करके भूल जाते हैं, जिससे करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ ही बह जाता है । मौजूदा समय में जल स्तर कुछ क्षेत्रों में 300 से 350 फीट के नीचे तक जा पहुंचा है।
गर्मी में प्रति व्यक्ति औसत 1 30 लीटर पानी की खपत
गर्मी के दिनों में औसत प्रति व्यक्ति प्रति दिन 120 से 130 लीटर पानी खर्च करता है, इस लिहाज से अगर देखे तो रवि की फसल के लिए इस्तेमाल होने वाले पानी की खपत को रोकने से बलौदाबाजार जिले के लगभग 13 लाख जनसंख्या को बड़ी आसानी से पानी मुहैया कराया जा सकता है।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कश्यप के मुताबिक किसान अगर इस पानी का उपयोग सब्जी या अन्य फायदेमंद फसलों के उत्पादन के लिए करें तो बेहतर होगा जिले में धान का पर्याप्त उत्पादन खरीद फसल से ही हो जाता है। रबी की फसल में धान का उत्पादन कितना जरूरी है, इस पर विचार कर शासन को भी कुछ नीति बननी चाहिए।
1 एकड़ फसल के लिए 24 लाख लीटर पानी
कृषि विज्ञान केंद्र भाटापारा में कार्यरत वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कश्यप के अनुसार एक एकड़ जमीन में धान की खेती के लिए करीब 60 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है, इतना पानी करीब 24 लाख लीटर होता है और उपाय 14 से 15 क्विंटल होती है।