महासमुन्द
![बगैर वेरिफिकेशन लोग अपने घरों को भाड़े पर दे रहे, बाहर से आने वाले भी कोतवाली में मुसाफिरी दर्ज नहीं कराते बगैर वेरिफिकेशन लोग अपने घरों को भाड़े पर दे रहे, बाहर से आने वाले भी कोतवाली में मुसाफिरी दर्ज नहीं कराते](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1708683521G_LOGO-001.jpg)
बिना जांच पड़ताल के अजनबी लोगों को इस तरह घर में रखना खुद एवं दूसरों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है-पुलिस
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 23 फरवरी। महासमुंद में बगैर वेरिफिकेशन लोग अपने घरों को भाड़े पर दे रहे हैं। हालांकि पूर्व में अभियान चलाकर पुलिस ने मकान मालिकों को जागरूक किया था। लेकिन अब यह जागरुकता भी ठंडे बस्ते में चली गई है। हालात यह भी है कि शहर में पहुंचकर छोटे-छोटे व्यवसाय करने वाले लोग भी कोतवाली में मुसाफिरी दर्ज नहीं करवा रहे हैं। शहर सहित जिले भर में लोग बिना पुलिस वेरिफिकेशन ही किराएदार रख रहे हैं। फलस्वरूप जिले भर में लगातार चोरी सहित अन्य अपराधों में इजाफा हुआ है। इन दिनों इंडस्ट्रियल इलाके बिरकोनी सहित जिला मुख्यालय बड़ी संख्या में बाहरी लोग पहुंचे हैं। इनमें से कुछ ही लोगों की मुसाफिरी पुलिस में दर्ज है। अनेक अन्य राज्यों से आए लोगों को मामूली लालच में आकर लोग अपना मकान किराए पर दे रखे हैं। किराएदारों ने न तो उनका आधार जमा कराए जा रहे हैं न ही उनकी कोई डिटेल मांग रहे हैं।
पुलिस का कहना है कि ऐसे में जिले में बढ़ते अपराधों से इंकार नहीं किया जा सकता। बिना जांच पड़ताल के अजनबी लोगों को इस तरह घर में रखना खुद एवं दूसरों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। पुलिस की लाख कोशिशों के बाद लोग इस मामले में जागरूक नहीं हो पा रहे हैं। यह अनदेखी सुरक्षा के लिहाज से मुसीबत पैदा कर सकती है।
इस वक्त शहर के प्राय: हर वार्ड में एक बड़ा वर्ग किराए के मकान में निवास करता है। लगभग 6 माह पूर्व ही शहर के नयापारा, हॉउसिंग बोर्ड कालोनी तथा अन्य मोहल्लों में पुलिस ने अभियान चलाकर लोगों से आधार जमा कराया था। लेकिन इनमें से अनेक ऐसे भी थे जो घरों में मिले हीं नहीं फलस्वरूप उनका वेरिफिकेशन नहीं हो पाया। जिला पुलिस द्वारा किराएदार को रखने से पहले उसकी आईडी व पुलिस को उसकी जानकारी देते हुए वेरिफिकेशन हेतु पुलिस द्वारा पूर्व में लोगों को हिदायत भी दी गई थी। लेकिन मकान मालिकों द्वारा उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। अधिकांश लोगों का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराया गया। यही वजह है कि अब भी लोग पुलिस के पास शिकायत करने पहुंचते हैं कि उनके यहां काम करने वाले स्टाफ ने वारदात को अंजाम दिया है। जब पुलिस उनके बारे में पूछती तो प्रॉपर एड्रेस नहीं मिलता है। इसके चलते ही पुलिस को अपराधियों को को पकडऩे में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पुलिस के अनुमान के मुताबिक पालिका के हर वार्ड में सैकड़ों की संख्या में लोग किराए के मकान में रहते हैं।