रायगढ़

आंगनबाड़ी भवन जर्जर, बच्चे बरामदे में बैठकर पढऩे मजबूर
26-Feb-2024 2:24 PM
आंगनबाड़ी भवन जर्जर, बच्चे बरामदे में बैठकर पढऩे मजबूर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 26 फरवरी। जिले धरमजयगढ़ विकासखण्ड क्षेत्र में अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों का हालात काफी जर्जर हो चुके हैं, कहीं भवन के छत के प्लास्टर टूट-टूट कर गिर रहे हैं,तो कई आंगनबाड़ी केंद्र भवन का दीवाल धंस रहा है। तो कहीं का आंगनबाड़ी केंद्र भवन भूत बंगला बनकर रह गई है। ऐसा ही एक मामला है, जहां पर आंगनबाड़ी केंद्र भवन जर्जर हालत हो चुकी है। जिसमें प्रवेश करना यानि कभी भी अनहोनी का निमंत्रण देना साबित हो सकता है।

धरमजयगढ़ विकासखण्ड के महिला एवं बाल विकास परियोजना कापू क्षेत्र के गोढ़ी खुर्द में बने आंगनबाड़ी केंद्र का जहां पर भवन की हालात जर्जर हो चुकी है।भवन में अध्ययन कराना खतरों से खाली नहीं है। और वहीं जर्जर भवन के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता यारमोती राठिया द्वारा गांव के ही घर बरामदे को मांग कर आंगनबाड़ी केंद्र संचालित कर रही है, जहां पर कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों का भी गांवों सन्नाटा पसरा हुआ है,कभी भूल से भी गांव में निरीक्षण करने लोगों का हालचाल पूछने तक नहीं पहुंचते, ग्रामीणों का कहना है, चुनाव के समय में जनप्रतिनिधियों द्वारा हमारे आंगन में इतने बार पधारते हैं, कि उनके आने पर हमारे काम धंधा चैपट कर जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद उनके दर्शन दुर्लभ हो गई है। और आगे उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र भवन का हालात काफी लम्बे समय जर्जर हो चुकी है।

इस संबंध में ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान से जानकारी ली गई,तो उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा कई बार विभागीय अधिकारीयों को सुचना दी है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन साफ शब्दों में कहें तो आंगनबाड़ी केंद्रों का सुध लेने वाले विभागीय कर्मचारी हों चाहे या फिर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सभी अपने जिम्मेदारियों से भागते नजर आ रहे हैं!

और वहीं सवाल उठता है, कि आखिरकार विकसित ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्रों भवनों का ऐसी दुर्दशा क्यों? महिला एवं बाल विकास परियोजना आला-अधिकारी कर्मचारी समय समय-समय पर निरीक्षण क्यों नहीं करते, और मासूम बच्चों स्वास्थ्य, शिक्षा पर कोई ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस क्षेत्र में जर्जर हो चुके आंगनबाड़ी भवनों में स्कूल संचालन करना नवनिहाल बच्चों के लिये जान लेवा साबित हो सकता है।

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