महासमुन्द
![मोर बइहा परबुधिया.. बसंत में बऊराय..खाय पिये रेंगे... बुले के बतर नइ पाय- सौरिन मोर बइहा परबुधिया.. बसंत में बऊराय..खाय पिये रेंगे... बुले के बतर नइ पाय- सौरिन](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1708937679hoto_15_(1).jpg)
खल्लारी मंदिर कोडार में पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी जयंती पर हास्य व्यंग्य कवि सम्मेलन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 26 फरवरी। छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के तत्वावधान में खल्लारी मंदिर कोडार में वसंत पर्व को लेकर काव्य गोष्ठी आहुत की गई। पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम में हास्य व्यंग्य कवि रामेश्वर वैष्णव मुख्य अतिथि थे। राकेश चन्द्राकर अध्यक्ष नगर पंचायत तुमगांव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे कवियों ने इस दौरान देवीभक्ति, वासंती बयार, फागुनी रंग, हास्य और व्यंग्य तरंग से भरपूर रचनाओं का पाठ किया।
समिति के अध्यक्ष बन्धु राजेश्वर खरे के स्वागत उद्बोधन के पश्चात हबीब समीर बागबाहरा ने माटी की महक पर एक बानगी प्रस्तुुत की। उन्होंने कहा-छत्तीसगढ़ के माटी ला चंदन कस बगराबो..धूर्रा ला तिलक लगा के अपन भाग ला सहराबो, चलो तिरंगा फहराबो चलो तिरंगा फहराबो। सिसदेवरी के रविशंकर चंद्राकर दीवान ने मैय्या दर्शन दे दे भवानी, तरसत हे नैना हमार जसगीत गाया। रुपेश तिवारी ने मड़ई मेला भोजली सहिनांव कहां हे, शहरिया चकाचौंध मं तोर गांव कहां हे का सस्वर पाठ किया।
कवियित्री सौरिन चंद्रसेन ने मोर बइहा परबुधिया बसंत में बऊराय, खाय पिये रेंगे बुले के बतर नइ पाय सुनाया। भागवत जगत भूमिल ने अरे ढोल नगाड़ा बाजन दे,थोकिन रन साजू ला साजन दे सुनाया। छत्तीसगढ़ी और बघेली दोनों भाषा को सगी बहन बताते हुए राजकुमार धर द्विवेदी रायपुर ने मोरे पटौहें मं देवी सारदा लाहरा,हम मठहा बिलार हो मां सुनाया। वनांचल सुकुलबाय की नर्मदा दीवान नैना ने अलाल होगे मनखे अलाल होगे जी, जितेश्वरी साहू पिथौरा ने सफई अभियान जमीन असमान होगे, डा. सरोज साव पिथौरा ने मोर दाई के कोसटउहां लुगरा मं, मकसूदन साहू बरीवाला राजिम ने नीक लागे मोला हडिय़ा के बासी, होरीलाल पटेल जलकी ने पहिली कस जिनगी नइए संगी, देखव मोर मन रोवत हे सुनाया।
सुरेन्द्र मानिकपुरी ने मधुर रस इस तरह घोला,फागुन आगे गा बइहा, बलौदाबाजार से पहुंचे फिरितराम पटेल ने बन बाग बगीचा नदी नरवा फगुनावत से सभी झूमते रहे सुनाया। जगन्नाथ डडसेना पचरी ने नाटकीय अंदाज में कपड़ा में लफड़ा, हाथी बुलकगे, पूछी सटक गे प्रस्तुत किया। उमेश भारती गोस्वामी की कविता छान्ही के बरेंडी ले,कंऊवा के रोना हे, शशांक खरे रायपुर की कविता राजनीति हर जगह घुसी है ने आज की राजनीति पर करारा व्यंग्य किया।
बुधराम यादव, डॉ राजेश मानस बिलासपुर, गौतम दास मानिकपुरी चैतन्य बागबाहरा, मोहनलाल मानिक नवापारा राजिम, संतोष गुप्ता पिथौरा, उत्तरा कुमार सिन्हा सरकड़ा, अशोक शर्मा, डॉ.साधना कसार, मुरलीधर पटेल, शंकरलाल शर्मा, बी के चतुर्वेदी, लक्ष्मण सिंह तारक, ललित मानिकपुरी, रामकुमार साहू, विशेष अतिथि आशा मानव, रामेश्वर शर्मा, संजय शर्मा कबीर, इन्द्रदेव यदु रायपुर एवं अन्य कवियों के प्रभावी काव्य पठन ने सम्मेलन को ऊंचाई प्रदान की।
काव्य पाठ से पहले मंच संचालक सुरजीत नवदीप ने चिर परिचित शैली में पति-पत्नी के संबंध बताइए,नमक कम रहे या ज्यादा, चुपचाप खाइए पढ़ी। बंधु राजेश्वर खरे ने करनी दिखे मरनी के बेर, रामेश्वर वैष्णव ने श्रोताओं की फरमाइश पर बने करे राम मोला अच्छा बनाए तंय सुनाया।
टेकराम सेन चमक ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। आनंद राम पत्रकारश्री ने आभार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्जवलित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पप्पू पटेल उपाध्यक्ष नगर पंचायत तुमगांव, किशोर चन्द्राकर, जगदीश ध्रुव, गणपत यादव, रेवती रमन, द्रोणाचार्य तारक कांपा, देवेन्द्र साहू बरमकेला, डा.भूपेन्द्र सोनी, चन्द्रशेखर शर्मा धमतरी, हरीश दुबे, जनकराम यादव का सराहनीय सहयोग रहा।