रायपुर
सीसीटीवी फुटेज पर पशु प्रेमियों की एफआईआर पर आरोपी गिरफ्तार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 फरवरी। राजधानी में एक और पशु क्रुरता का दर्दनाक मामला सामने आया है। शनिवार को उरला के शिशु मानस भवन चौक के पास तुकाराम निषाद उर्फ ??छोटू नामक व्यक्ति ने एक मासूम कुत्ते की सोते समय बड़े पत्थर से सिर कुचलकर हत्या कर दी। उसी इलाके के निवासी पशु प्रेमी खगेश कश्यप ने स्निग्धा चक्रवर्ती और मुकेश के साथ कुत्ते की मौत की जांच की और सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से आरोपियों द्वारा जघन्य अपराध के बारे में पता लगाया, जहां तुकाराम सोते हुए कुत्ते की हत्या करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
राजधानी में एक महीने के भीतर कुत्ते की निर्मम हत्या की यह दूसरी घटना है, यह कहने की जरूरत नहीं है कि राज्यभर में ऐसे कई अपराध हो रहे होंगे जो रिपोर्ट नहीं किए जाते क्योंकि लोग जानवरों के जीवन को महत्व नहीं देते हैं। यह चिंताजनक है कि शहर में जानवरों के खिलाफ क्रुरता की बढ़ती संख्या को देखने के बाद, जिसमें सामुदायिक जानवरों पर नियमित रूप से लात मारना, मारना, पत्थर फेंकना, पानी फेंकना शामिल है, हम अभी भी आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया करने के लिए जानवरों को दोषी मानते हैं।
ये मामले में उरला थाने में भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 429 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। संविधान का अनुच्छेद 51 (्र) (द्द)क्या कहता है? संविधान का अनुच्छेद 51 (्र) (द्द) कहता है कि हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। यानी, हर नागरिक का कर्तव्य है कि वो पर्यावरण और प्रकृति का संतुलन बनाए रखे।
5 साल तक की हो सकती है सजा!
आईपीसी की धारा 429 किसी जानवर की हत्या करना या अपाहिज करने को अपराध बनाती है। ये धारा कहती है कि अगर किसी जानवर की हत्या की जाती है, उसे जहर दिया जाता है या फिर अपाहिज किया जाता है, तो दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। वहीं, पशु क्रुरुता निवारण कानून की धारा 11 (1) (रु) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी जानवर के हाथ-पैर काटता है या बिना वजह ही क्रुरूर तरीके से उसकी हत्या करते है, तो ऐसा करने पर दोषी पाए जाने पर तीन महीने तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
1960 में लाया गया था पशु क्रुरता निवारण अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। साथ ही इस एक्ट की धारा-4 के तहत साल 1962 में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीडऩ की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस एक्ट में शामिल हैं। जैसे- अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है, तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रुरता का अपराधी होगा।