बलौदा बाजार

बर्न यूनिट भवन सालभर से तैयार, लेकिन न डॉक्टर और न मशीन सेटअप
28-Feb-2024 2:38 PM
बर्न यूनिट भवन सालभर से तैयार, लेकिन  न डॉक्टर और न मशीन सेटअप

झुलसे मरीजों को हमेशा रायपुर भेजना पड़ता है

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 28 फरवरी।
जिला अस्पताल में आए दिन आग से जलने और झुलसने का मामला सामने आता है। इसमें से अधिकतर लोगों की मौत समय पर उपचार नहीं मिल पाने के कारण हो जाती है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों के लोग आगजनी से पीडि़त मरीजों को उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचते हैं, मगर बर्न यूनिट के अभाव में प्राथमिक उपचार के बाद यहां से रायपुर रिफर कर दिया जाता है।

मांग के बाद किसी तरह से सीजीएमसी द्वारा जिला अस्पताल के अंतिम ताल में भवन तो बना दिया गया, इस पर लाखों रुपए की धनराशि भी खर्च कर की गई है मगर यहां न डॉक्टर है और न ही संसाधन, ऐसे में बर्न यूनिट का ही संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी की बात तो दूर है, जिला अस्पताल के लिए जिन संसाधनों व जितने स्टाफ की आवश्यकता थी उसकी भरपाई जिला अस्पताल भवन निर्माण के 8 साल बाद भी नहीं हो पाई। 

8 साल में 177 लोगों की हो चुकी है मौत

जिले के सभी सीएचसी पीएचसी से बर्न के मरीजों को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। जिला अस्पताल में सुविधा नहीं होने के कारण पीडि़तों को प्राथमिक इलाज के बाद रेफर कर दिया जाता है। जिला अस्पताल में बर्न यूनिट के साथ अनुभवी चिकित्सकों की आवश्यकता है। जिले में बीते 8 सालों में आग से जलने से 177 लोगों की मौत हो चुकी है। 

स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर फोकस नहीं 

आंकड़ों के अनुसार जिले में औसत हर साल लगभग 22 लोगों की मौत आग में जलने से होती है। जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल विकास कार्य के लिए प्रस्ताव तैयार कर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते जाता है। वर्तमान विधायक व कैबिनेट मंत्री टंक राम वर्मा ने जरूरी संसाधनों के संबंध में जानकारी मंगाई है। जिसे जल्द ही पूरा करवाने का आश्वासन दिया है।

दूरी ज्यादा होने से रास्ते में ही हो जाती है मरीजों की मौत 

स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि जब कभी बात उठती है तो यहां संचालन की कवायद भी शुरू होती है लेकिन फिर मामला ठंडा बस्ती में चला जाता है। उधर जब कोई झूलसती है तो उसे जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद मेकाहारा रायपुर रिफर कर दिया जाता है। दूरी अधिक होने के कारण मरीज की मौत रास्ते पर ही हो जाती है। जिला अस्पताल में अब तक आग में झुलसने झुलसे कई मरीजों की मौत बर्न यूनिट नहीं होने के कारण हो चुकी है। बुरी तरह झुलसे लोगों को रायपुर तक पहुंचने में ही दो से तीन घंटे का समय लग जाता है। जो मरीज की मौत का एक और कारण बन जाता है।

घायलों से मिलने मेकाहारा पहुंचे मंत्री टंकराम  वर्मा 

भैसा पसरा में रविवार की रात हुए अग्निकांड में दो लोगों की मौत भी सिर्फ इसीलिए हो गई कि इन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाया था। बचे हुए दो घायल मां बेटी में से मा की तबीयत  बहुत ज्यादा खबर के बाद सोमवार को स्थानीय विधायक व कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा मेकाहारा अस्पताल पहुंचे जहां उन्होंने डॉक्टरों को विशेष देखभाल के निर्देश दिए हैं।

संसाधन उपलब्ध होंगे तब करेंगे संचालन -सीएमएचओ 

सीएमएचओ जिला अस्पताल बलौदाबाजार डॉ. एमपी महेश्वर ने कहा कि बर्न यूनिट के संचालन के लिए सबसे पहले तो सर्जन चाहिए प्लास्टिक सर्जरी के लिए भी यहां जरूरी है। साथ ही नर्स फार्मेसिस्ट और अन्य स्टॉफ के साथ एक कक्ष में एसी के साथ ही अन्य सुविधाएं जरूरी है। जिसमें विशेष सतर्कता भी जरूरी है। संसाधनों की जरूरत है। संसाधन उपलब्ध होते ही संचालन किया जाएगा।

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