बलौदा बाजार

बलौदाबाजार डिवीजन के 35 में से 25 जलाशय अप्रैल की शुरुआत में ही सूखे
09-Apr-2024 8:45 PM
बलौदाबाजार डिवीजन के 35 में से 25 जलाशय अप्रैल की शुरुआत में ही सूखे

ग्रामीण इलाकों की 50 से 60 फीसदी आबादी नहाने व निस्तारी के लिए इन्हीं पर निर्भर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 9 अप्रैल। बलौदाबाजार ऐरीगेशन के सब डिवीजन में आने वाले 35 छोटे-बड़े बांधों में से 25 अभी से  सूख चुके हैं। ग्रामीण इलाकों की करीब 50 से 60 फ़ीसदी आबादी नहाने और निस्तार के लिए इन्हीं पर निर्भर है।

गांव वालों की उम्मीद थी कि ताप देने वाली गर्मी में ये बांध उन्हें राहत देंगे। लेकिन अप्रैल तक एक हफ्ता ही बीता है और बांधों का यह हाल है। अभी मई-जून बाकी है ऐसे में गांव वालों के सामने संकट खड़ा हो गया है कि अपनी जरूरत पूरी करने के साथ में पशुओं के पीने नहाने के पानी का इंतजाम कैसे करेंगे।

बलौदाबाजार ऐरीगेशन के सब डिवीजन में बलौदाबाजार शहर व ग्रामीण इलाकों के अलावा पलारी और कसडोल का आधा हिस्सा भी आता है। एक दो को छोड़ दें तो बाकी सभी बांध ग्रामीण इलाकों में ही बनाए गए हैं। इन्हें बनाने का उद्देश्य भी गांव को प्राप्त पानी मुहैया कराना है। हालांकि सबसे ज्यादा जरूरत के वक्त में यह बंद फिजूल साबित हो रहे हैं।

25 बांध तो पूरी तरह सूख चुके हैं। जिन 10 बांधों में पानी है, वहां भी आधा या इससे कम ही है। जिस तेजी से गर्मी पड़ रही है उन्हें देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि बांध भी ज्यादा दिनों तक लोगों का साथ नहीं दे पाएंगे। गांव वालों से बात की तो उनका कहना था पिछली गर्मी तक बांध में आधा पानी तो भर ही रहता था, लेकिन अब इस बार बांध फरवरी के आखिर में ही पूरी तरह सूख चुका था। इलाके में इस मानसून अच्छी बारिश नहीं हुई।

शहरों में भी हालत ठीक नहीं, जलस्तर दोगुना नीचे

ऐसा नहीं है कि बांध सूखने का असर केवल ग्रामीण इलाकों पर ही पड़ता है बलौदाबाजार शहर भी इसका खामियाजा भुगत रहा है। बीते कुछ सालों में शहर और आसपास बने बांधों में कम पानी होने के चलते इलाके का ग्राउंडवाटर लेवल भी तेजी से गिरा है। 10 सालों की बात करें तो ग्राउंड वाटर लेवल दोगुना नीचे जा पहुंचा है।

 2015 तक यहां 200 250 फीट खुदाई करने पर पानी निकल आता था। वहीं अब पानी के लिए लोगों को 400 450 फीट खुदाई करनी पड़ रही है। 10 साल पहले तक 4 इंच मोटे पाइप में ही पानी आ जाता था अब डेढ़ इंच पाइप से ही पानी की धारा निकल जाए तो बहुत है। यही वजह है कि लोग बलौदाबाजार का ग्राउंड वाटर लेवल रिचार्ज करने लगातार जलाशय के गहरीकरण की मांग कर रहे हैं प्रशासन है कि उनकी सुनता ही नहीं।

खतरे की घंटी क्योंकि फसलों पर सीधा असर, निस्तार भी बड़ा संकट

ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर जलाशय ग्रामीण लोगों की निस्तार के साथ ही साथ खरीफ फसल के लिए किसानों को पानी दिए जाने भूजल स्तर को बनाए रखने की बड़ी भूमिका निभाते हैं। लेकिन जलाशयों का सूखना या जलाशयों में पानी का बेहद कम होना सबके लिए खतरे की घंटी है।

फसलों पर इसका सीधा असर पड़ेगा, चिंता की बात यह है कि अभी गर्मी का सबसे कठिन समय यानी अप्रैल में और जूनके दो हफ्ते बाकी है। कुल मिलाकर अभी लगभग ढाई माह का ग्रीष्म ऋ तु बाकी है। लिहाजा जलाशयों के सूखने से ग्रामीण इलाकों के लोगों को गंभीर निस्तार संकट से जूझना पड़ सकता है।

दर्जनों गांवों को इन्हीं जलाशयों से मिलता है सिंचाई का पानी

गौरतलब है कि बलौदाबाजार छुईया टैंक जलाशय, खैरा दतान जलाशय, लाल बांध जलाशय, युद्ध जलाशय का कुल रकबा लगभग 16 एकड़ से ज्यादा है, वहीं कुकुरदी जलाशय लगभग 114 एकड़ में फैला है। बलौदाबाजार के कुकुरदी सहित सभी जलाशयों को बीबीसी के जरिए भरा जाता है। इन जलाशयों से निकली नहरों से तालाबों को भरे जाने के साथ ही साथ किसानों को कृषि के लिए पानी दिया जाता है।

कुकुरदी जलाशय से कुकुरदी ढनढनी रिसदा परसाभदेर कुकुरदी कोकड़ी भाटागांव आदि गांव छुईहा जलाशय से सोनपुरी बलौदाबाजार अचानकपुर प्रसाद पटेल शुक्ला भाटा आदि ग्रामों खैरतल बांध जलाशय से खैरधतााटा पहदा तुरमा आदि ग्रामों के किसानों को फसलों के लिए पानी भी दिया जाता है। वहीं दर्जन भर गांव के लोगों की निस्तारी साथ ही साथ क्षेत्र के भूजल स्तर को बनाएं तथा बचाए रखने में इन जलाशयों का सर्वाधिक योगदान है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news