बेमेतरा

सिकल सेल के 550 से अधिक गंभीर मरीज 15 हजार लोगों में मिला लक्षण
14-Apr-2024 2:03 PM
सिकल सेल के 550 से अधिक गंभीर  मरीज 15 हजार लोगों में मिला लक्षण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 14 अप्रैल। जिले में सिकलसेल जांच की संख्या बढ़ाये जाने के बाद जिले में इसके परिणाम सामने आने लगे हैं। जिले में 2023 के एक वित्तीय वर्ष में सिकलसेल के 550 से अधिक गंभीर मरीज मिले हैं। वहीं 15 हजार से अधिक मरीजों में वाहक का लक्षण पाया गया है। जिले बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ ब्लॉक में 2 लाख 47 हजार लोगों की स्केनिंग की गई है।

बता दें कि सिकलसेल जांच की संख्या बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले में बीते सत्र के दौरान बेमेतरा ब्लॉक के 54767 लोगों की जांच की गई, जिसमें 52918 सैंपल निगेटिव आए हैं। सैंपलों की रिपोर्ट में 878 को एसएस यानी लक्षण वाला होना पाया गया है। वहीं 82 सैंपलों की रिपोर्ट गंभीर मिली है। वहीं 889 की रिपोर्ट आनी बाकी है।  इसी तरह बेरला में 55334 जांच में 53584 निगेटिव, 773 मरीज लक्षण वाले व 47 गंभीर मरीज हैं। 870 की रिपोर्ट नहीं आई है। नवागढ़ ब्लॉक में 64593 जांच की गई, जिसमें 2006 लक्षण वाले व 62 गंभीर मरीज मिले हैं। 1441 की रिर्पो पेंडिंग है। साजा ब्लॉक में 62068 जांच में 1037 में लक्षण दिखे व 41 गंभीर मरीज होना पाया गया है। इसके साथ ही जिला अस्पताल में बीते सत्र में सबसे अधिक 135884 सैंपलों की जांच की गई, जिसमें से 132725 निगेटिव मिले। 11220 की रिपोर्ट में सिकल सेल लक्षण व 325 में मरीज गंभीर होना पाया गया है। 26 रिपोर्ट प्रक्रिया में हैं।

आरबीसी में बदलाव के कारण सिकल सेल

डॉक्टरों के अनुसार सिकलसेल हीमोग्लोबिनोपैथी हीमोग्लोबन से संबंधित विकार है। ब्लड में तीन प्रकार की सेल होती हैं। रेड ब्लड सेल (आरबीसी), वाइट ब्लड सेल (डब्ल्यूबीसी) और प्लेटलेट्स। आरबीसी में हीमोग्लोबिन होता है। हीमोग्लोबिन शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन करता है। आरबीसी में थैलेसीमिया, हीमोग्लोबिन-ई, सिकल सेल समेत कई बीमारियां होती हैं। आरबीसी का आकर गोल होता है। सिकल सेल की बीमारी के कारण आरबीसी का आकर हंसिए की तरह हो जाता है, जिससे सिकल सेल जल्दी नष्ट हो जाते हैं। आरबीसी की कमी से शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके अलावा सिकल सेल थक्का बनाती है, जिससे शरीर में खून का प्रवाह रुकने लगता है। इससे गंभीर दर्द, इंफेक्शन, सीने में दर्द और स्ट्रोक जैसी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। बहरहाल जिले में इस मर्ज की जांच व उपचार की सुविधा होने से मरीजों को राहत मिली है।

स्क्रीनिंग पर मिलती है प्रोत्साहन राशि

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सिकलसेल व एनिमिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सिकलसेल ऐप में प्रति स्क्रीनिंग एंट्री के 2 रुपए की प्रोत्साहन रशि मिलती है। जिले के 198337 सिकलसेल स्क्रीनिंग की रिपोर्ट एप में अपडेट की गई है, जिसके लिए बेमेतरा जिला को 3 लाख 87 हजार की प्रोत्साहन राशि प्राप्त हुई है। बेमेतरा जिला एप में अपडेट करने में प्रदेश में पांचवें स्थान पर है।

85 फीसदी जांच कराने वालों को रिपोर्ट कार्ड जारी

जांच कराने वालों को योजना के तहत कार्ड जारी किया जाना है। जिले में जांच कराने वाले 363041 लोगों में से 325868 को कार्ड जारी किया गया है। विभाग के अनुसार जांच के बाद कार्ड प्राप्त करने वाले पॉजिटिव मरीजों को निशुल्क उपचार की सुविधा का लाभ मिल सकेगा।

गंभीर मरीजो को रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है

जांच के बाद प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पॉजीटिव रिपोर्ट को दो वर्ग में रखा जाता है, जिसमें लक्षण वाले यानी एडल्ट सीकल एसएस और गंभीर मरीज को सिकल सेल डिसीज के वर्ग में रखा जाता है। एसएस वर्ग के मरीजों को समय-समय पर रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए जिला अस्पताल में ब्लड बैंक में इसकी सुविधा दी गई है। जिले में 557 एसएस वर्ग में से जिला अस्पताल आने वाले मरीजों को रक्त चढ़ाया जाता है।

आनुवांशिक बीमारी है- डॉ.चुरेन्द्र

सीएचएमओ डॉ. एसआर चुरेन्द्र ने बताया कि सिकलसेल अनुवांशिक बीमारी है, जो माता या पिता से बच्चे में पहुंचती है। माता और पिता दोनों ही यदि सिकलसेल या एनीमिया से ग्रसित हैं तो बच्चे के इस बीमारी से ग्रसित होने के चांस शत-प्रतिशत होते हैं। अस्पतालों में सिकलसेल या एनीमिया के मरीजों में करीब 10 फीसदी लोग अनुवांशिक बीमारियों से पीडि़त हैं। ऐसे में ब्लड कुंडली मिलाने पर ऐसी बीमारियों पर रोक लग सकती है। जिले में शिविर लगाकर भी मरीजों की जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्ड बनाकर दिया जा रहा है।

 

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