रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 अप्रैल। छत्तीसगढ़ में नवरात्रि पर्व के अंतर्गत कल 16 अप्रैल को दोपहर चिलचिलाती धूप में श्रद्धालुगण मंदिरों में हवन पूजन करेंगे। हवन सामग्री अग्नि में अर्पित करने से वायुमंडल शुद्ध होता है तथा वायुमंडल में स्वाहा स्वाहा गूंजायमान होगा। सतबहिनियां माता मंदिर के आचार्य पं विजय कुमार झा, पुजारी पं उमेश पांडे ने बताया है कि जिन मंदिरों में अष्टमी में हवन प्रारंभ कर नवमी में पूर्णाहुति की जाती है, उन मंदिरों में परंपरागत हवन दोपहर में संपन्न होंगे। कल मंगलवार को दोपहर 1:30 बजे तक अष्टमी है। इसलिए 1:30 बजे के पूर्व अष्टमी में हवन प्रारंभ होकर, 1:30 के बाद नवमी में पूर्णाहुति होगी, आरती भोग भंडारा तथा जिन मंदिरों में गुप्त रूप से ज्योति विसर्जन किया जाता है, वहां देर रात्रि ज्योति जवारा विसर्जित भी किए जाएंगे। जिनमें प्रमुख रूप से महामाया मंदिर पुरानी बस्ती, दंतेश्वरी मंदिर, शीतला मंदिर, कंकाली मंदिर, सतबहिनियां मंदिर, खोखो पारा दुर्गा मंदिर शामिल है।पं झा ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि हवन में नारियल अर्पित ना करें। सामान्यत: देखा जाता है कि मंदिरों में अग्नि में नारियल भी डाल दिए जाते हैं। एक नारियल डालने से 1000 ब्राह्मणों को भोजन कराना होता है। दुर्भाग्य की बात है कि ऐसा देखकर महिलाएं सुहाग की सामग्री भी अग्नि में डाल देती है जो अशुभ है। सतबहिनियां माता का प्रतिदिन श्रृंगार व्यवस्था अनिल यादव, लक्ष्मीकांत यादव, मन्नू लाल यादव, शेखर पंसारी, अजीत यादव आदि के द्वारा किया जा रहा है।