महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20 अप्रैल। नर्सिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहे जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नसों की भर्ती से मरीजों को अब राहत मिली है। लंबे अरसे बाद नियमित पदों पर भर्ती नहीं होने की वजह से जिला अस्पताल प्रबंधन ने कलेक्टर दर पर 20 नसों की भर्ती की है। इसके बाद से व्यवस्था पहले की अपेक्षा दुरूस्त हुई है। हालांकि नसों के स्वीकृत 176 पदों में अभी मात्र 34 नर्स ही कार्यरत है। यानी 142 पद रिक्त हैं।
इस बदहाल व्यवस्था को बेहतर करने और व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए अस्पताल प्रबंधन ने नर्सिंग सिस्टर के 31, स्टाफ नर्स के 45, कलेक्टर दर पर 20 और एनएचएम के 11 नसों की तैनाती की है। नियमित नसों की कमी के कारण सीधा असर मरीजों की देखभाल पर पड़ रहा है। अस्पताल के 176 नर्सों के पद स्वीकृत है, लेकिन यहां मात्र 34 नर्सिंग स्टाफ ही कार्यरत है।
इसकी वजह से नसों पर काम का ज्यादा दबाव होने से मरीजों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। हालांकि नर्सों की कमियों और व्यावहारिक दिक्कतों के बावजूद अस्पताल स्टाफ मरीजों के बेहतर उपचार और देखभाल के लिए अपनी क्षमता से अधिक काम कर रहे हैं। इधर कई ऐसे मौके भी सामने आते हैं, जब नर्सेस की कमी के कारण भर्ती मरीजों को न तो समय पर दवा मिलती है न ही दर्द से कराहने पर नर्स मरीज के पास पहुंच पा रही हैं।
नियमानुसार दो गंभीर मरीजों पर एक नर्स होना चाहिए, हालत यह है कि एक नर्स पर चार से छह मरीजों की देखभाल का जिम्मा है। नतीजन उचित देखभाल नहीं होने से कई मरीजों की तबीयत बिगड़ रही है।
मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग स्टाफ 176 नियमित पदों में 132 पद रिक्त हैं। वहीं वार्ड ब्वाय के 795 स्वीकृत पदों में नियमित पदों के मात्र 2 ही कार्यरत हैं। यानी 193 नियमित पद रिक्त है। ऐसे में अस्पताल की व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कलेक्टर दर व स्थानीय स्तर पर रिक्त पदों पर नियुक्ति की गई है। लेकिन नियमित पदों पर भर्ती नहीं होने के कारण परेशानियां अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के संयुक्त संचालक व अधीक्षक डॉ. बसंत माहेश्वरी ने कहा कि नियमित भर्ती नहीं हुई, नसों की कमी को काफी हद तक दूर कर लिया गया है।
हालांकि व्यवस्था अब काफी बेहतर हो चुका है। अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था में नसों की बड़ी भूमिका है। उनके अच्छे व्यवहार और उचित देखभाल से ही मरीजों की सेहत में जल्दी सुधार की गुजांइश बढ़ती है। ऐसे में जब बेड वार नसों की व्यवस्था होनी चाहिए, वहां नर्से दो से तीन वार्ड की व्यवस्था संभाल रही हैं। ऐसे में परेशानी तब बढ़ जाती है जब गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। कैजुअलटी, ओपीडी और ओपीडी इंजेक्शन रूम के लिए सौ मरीज प्रतिदिन अटेंट करने के आईसीयू, आईसीसीयू, आईसीसीसीआर नेफ्रोलॉजी के लिए प्रति मरीज 1-1 नर्स की आवश्यकता होती है।
वहीं पीडियाट्रिक, बर्न, न्यूरो, कार्डियक, स्पाइन जैसे स्पेशल और इमरजेंसी वार्ड के लिए भी नसों की जरूरत पड़ती है।