महासमुन्द
![भागवत कथा सुनने उमड़े भक्त भागवत कथा सुनने उमड़े भक्त](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1715954889_8....jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 17 मई। स्थानीय बीटीआई रोड स्थित भरत लीला मेंशन में लीलादेवी चंद्राकर, सुष्मिता आलोक चंद्राकर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस श्रीराम कृष्ण जन्म तथा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जन्म कथा का वाचन आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री चाय वाले बाबा सिलयारी ने किया।
आचार्य श्री शास्त्री ने सुकदेव महाराज द्वारा राजा परीक्षित को बताए गए भगवान श्रीराम कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे अपने पिता राजा दशरथ के वचनों को पालन करते हुए भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष के वनवास को सहर्ष स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा कि भगवान राम जब वन को गए तब पूरा अयोध्यावासी उनके पीछे-पीछे चल पड़े। उन्होंने प्रेम और भक्ति में प्रेम को श्रेष्ठ बताया।
उन्होंने कहा कि भक्ति की सीमा होती है। लेकिन प्रेम की पराकाष्ठा नहीं होती। रामायण के सारे पात्र परम वंदनीय तथा पूजनीय है। भगवान राम ने पिता के वचन पालन के लिए वनवास स्वीकार किया। माता सीता ने पति के सानिध्य में स्वर्ग का सुख समझा। भैया लक्ष्मण भाई के प्रेम व सेवा के लिए उनके पीछे चल पड़े। इन सभी में महात्मा भरत का त्याग सबसे श्रेष्ठ है।
उन्होंने कहा कि राम ने 14 वर्ष का वनवास काटा तो भरत ने भी 14 वर्ष तक तपस्वी के वेश में अयोध्या के मुहाने पर प्रभु की प्रतिक्षा की। आचार्य श्री शास्त्री ने कहा कि जो भाई-भाई में शत्रुता की बीज बो दे वह शकुनी है, वह मंथरा है। लेकिन एक आदर्श भाई बनने की सीख हमें महत्मा भरत भैया लक्ष्मण से मिलती है। कल कथा के दौरान प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण व माता जानकी के वन गमन की झांकी का जीवंत प्रस्तुत की गई। कथा में श्रद्धालुओं की खचाखच भीड़ देखने को मिली। सैकड़ों लोगों ने भागवत कथा का श्रवण किया।