बलौदा बाजार
![बस स्टॉप बदहाल, कहीं कुर्सियां टूटी, कहीं टाइल्स उखड़ी... बस स्टॉप बदहाल, कहीं कुर्सियां टूटी, कहीं टाइल्स उखड़ी...](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716022169-1060.jpg)
रवान में एक में मछली बाजार, दूसरे में कूड़े की भरमार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 18 मई। जिला मुख्यालय में 4 साल पहले 8 बस स्टॉपेज बनाए गए थे, आज सभी बदहाली हैं। कहीं कुर्सियां टूटी पड़ी है कहीं टाइल्स उखड़ गई है। वहीं मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर रवान गांव में तो दोनों बस स्टॉप बनने के एक ही साल में बर्बाद हो गए हैं। अब एक में मछली बाजार सज रहा है, दूसरे में कूड़े की भरमार है।
बलौदाबाजार में 4 साल पहले सरकारी फंड और सीमेंट संयंत्रों के सहयोग से 8 बस स्टॉपेज बनाए गए थे। कुछ बस स्टॉपेज तो दूसरी योजनाओं की भेंट चढ़ गए यानी इन्हें बनाया किसी उद्देश्य से गया था इस्तेमाल किसी और ही उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। बाकी बचे स्टॉपेज के भी मेंटेनेंस की किसी को परवाह नहीं है। यही वजह है कि धीरे-धीरे सभी प्रतीक्षालय बदहाली की भेंट चढ़ गए।
आज शहर में एक भी ऐसा स्टॉप नहीं है, जहां लोग कुछ देर रुक कर बस आने का इंतजार कर सकें। इधर बस स्टॉपेज के अभाव में सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल कॉलेज स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा लोगों को हो रही है। जो खुले आसमान के नीचे सर्दी गर्मी और बरसात जैसे मौसम की मार सहकार बसों का इंतजार कर रहे हैं।
एक स्टॉपेज को तो राजनीतिक पार्टी का दफ्तर ही बना डाला
गार्डन चौक में कहीं शहर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला बस स्टॉपेज हुआ करता था, खास तौर पर बच्चों के लिए क्योंकि सबसे ज्यादा स्कूली बसें इसी स्टॉपेज पर रुकती थी। तीन साल पहले एक राजनीतिक दल ने बस स्टॉपेज के स्ट्रक्चर को उखाड़ फेंका और इसी जगह अपनी पार्टी का दफ्तर बना लिया।
इसी तरह जनपद के सामने भी कभी शहर का मुख्य स्टॉपेज हुआ करता था। आज यहां दिन ढलते ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लग जाता है। वे इस जगह का इस्तेमाल नशाखोरी के लिए कर रहे हैं, इसके अलावा डीके कॉलेज मोड़ के पास बने बस स्टॉपेज की टाइल्स भी लगभग उखड़ चुकी है। यह स्टॉपेज पूरी तरह जीण-शीर्ण हो चुका है। यही हाल बाकी जगह का है।
मेंटेनेंस ही नहीं
शहर के ज्यादातर बस स्टॉपेज सीमेंट कंपनियों ने सीएसआर कॉर्पोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी फंड से बनाएं हैं।एक बार बस स्टॉप बनाकर छोड़ दिया इसका मेंटेनेंस कौन करेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। पालिका के जिम्मेदार इस कंपनियों पर ठोकते हैं कंपनियां पालिका को जिम्मेदार बताती है।
पहले भी शहर के कुछ समाजसेवियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग की थी कि वे इस ओर ध्यान दें। लेकिन किसी के कानों में जू तक नहीं रेगी। आखिर में सच्चाई यही है कि सीएसआर के नाम पर कंपनियों ने औपचारिकता पूरी की है। पालिका भी इसमें बराबर की जिम्मेदार है जिसे अपनी ही जनता की तकलीफें नजर नहीं आती।
साहब सवालों से बचते हैं क्यों ही पूछे
बस स्टॉप की बदहाली को लेकर बलौदाबाजार में लोक लोक निर्माण विभाग संभाग बलौदाबाजार टीसी टीकम चंद वर्मा से कॉल किया के जरिए संपर्क करने की कोशिश की, 25-30 बार कॉल के बाद भी कोई रिस्पांस नहीं आया।
रवान में मरी मछलियों की दुर्गंध से खड़ा होना मुश्किल
रवान में कभी गांव का मुख्य बस स्टॉप हुआ करता था, अब यहां मछली बाजार सजता है। मछली बेचने वाले हड्डियां और बचा मांस यही फेंक कर चले जाते हैं। इससे इतनी बदबू उठती है कि 2 मिनट भी खड़े रह पाना मुश्किल है। इसमें मछुआरों की कोई गलती नहीं है इसके लिए ग्राम पंचायत जिम्मेदार है जिसे यहां मछली बेचने की मंजूरी दी है।
मंजूरी न दी होती तो बाजार ठेकेदार यहां मछली वालों से वसूली नहीं करते। इसके अलावा गांव में एक और बस स्टॉपेज है वहां भी कूड़े करकट की भरमार है। लोग यहां खड़े होकर बीमार होने के बजाय तेज धूप सहकर बसों का इंतजार करना पसंद कर रहे हैं। इन परिस्थितियों को देखकर भी जनप्रतिनिधि मौन हैं।