महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,19 मई। स्थानीय कलेक्ट्रेट मार्ग स्थित भरत-लीला मेंशन में लीलादेवी चंद्राकर, सुष्मिता-आलोक चंद्राकर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस कल आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री चाय वाले बाबा सिलयारी धाम ने बैकुंठ दर्शन, कृष्ण रासलीला कथा का वाचन किया।
आचार्य श्री शास्त्री ने सुकदेव जी महाराज द्वारा राजा परीक्षित को सुनाए गए भगवान श्रीकृष्ण के रासलीला का वर्णन करते हुए कहा कि बड़े-बड़े संत, ज्ञानी, ऋषियों को युगों-युगों तक कठोर तपस्या करने के बाद भी प्रभु से मिलन का सौभाग्य नहीं मिलता, वो वृंदावन के गोपियों को मिला। प्रभु ने एक ही समय में हजारों गोपियों के साथ रासलीला कर उनके कई जन्मों के पुण्य कर्मों का प्रतिफल उन्हें प्रदान किया।
उन्होंने रासलीला के बारे में बताया कि रास लीला का अर्थ जीवात्मा का परमात्मा से मिलन होता है। जिनके व्याकुल हृदय में सदैव प्रभु का ध्यान रहता है। जो प्रति क्षण सांसारिक जीवन में रहते हुए भी बांके बिहारीलाल का ध्यान करते हैं, भगवान भी उनका ध्यान रखते हैं और अपना दर्शन देते हैं। आप सभी गोपी नहीं बन सकते लेकिन अपने मन के भाव को गोपी की तरह बना लो। भगवान का साक्षात्कार आपको मिल जाएगा।
उन्होंने भागवत कथा का महात्म्य बताते हुए कहा कि जहां अध्यात्म की चर्चा होती है, जहां प्रभु के लीलाओं का वर्णन होता है वह स्थान गंगा के समान पावन हो जाता है। इस भागवत महापुराण कथा के चलते भरत-लीला मेंशन भी गंगा के समान पावन व वृंदावन के समान पुण्य धाम बन गया है। कल श्रीमद भागवत कथा सुनने भाटापारा विधायक इंद्र साव,सुशील शर्मा,छुईखदान से संजीव दुबे,जगन्नाथ सेवा समिति के सदस्य,कुरूद से तारणी नीलम चंद्राकर, राजनांदगांव से पंडित रूपेश दुबे,डोंगरगांव से वीरेंद्र बोरकर समेत सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे थे।