दुर्ग
![फूलों की खेती से लाखों कमा रहे खोपली के दो भाई फूलों की खेती से लाखों कमा रहे खोपली के दो भाई](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716111708tai-0016.jpg)
लेखराम सोनवानी
उतई, 19 मई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। खोपली के रहने वाले दो युवा किसान भाई देवेंद्र पटेल और पप्पू पटेल दोनों मिलकर पारंपरिक खेती से हटकर कलकत्ता गेंदे व डेजी फूलों की खेती कर हर साल 8 से 10 लाख कमा रहे हैं। कलकत्ता गेंदा फूल की डिमांड पूरे साल रहती है, और इससे होने वाली कमाई से किसान भाइयों की आर्थिक हालत में काफी सुधार हो रहा है।
दो एकड़ में कर रहे हैं फूलों की खेती
देवेंद्र पटेल एवं पप्पू पटेल बताते हैं कि वह सीजन के अनुसार पहले एक एकड़ में फिर दूसरे एक एकड़ में फूल लगाते हैं, ताकि फूलों की पूर्ति साल भर होती रहे। एक एकड़ में लगभग 10 से 15 हजार पौधे लग जाते हैं। पौधा लगाने के साठ दिन बाद पौधों में फूल आना शुरू हो जाते हैं, जिससे हर एक से तीन दिन के बाद तोड़ा जाता है। एक एकड़ में हर एक दिन बाद लगभग दो से तीन क्ंिवटल फूल निकल जाते हैं, जिसका बाजार मूल्य प्रति किलो 60 से 80 रुपए प्रति किलो मिल जाते हैं और सीजन होने पर वही फूलों की कीमत बढ़ाकर 150 से 200 रुपए प्रति किलो हो जाते हैं।
जैसा लाभ उसी प्रकार मेहनत भी
पप्पू पटेल बताते हैं कि फूलों की खेती में जिस प्रकार लाभ है। उसी प्रकार कड़ी मेहनत भी लगता है। फूलों की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को दो बार जुताई कराना पड़ता है। इसके बाद क्यारी बनाकर उसमें सिंचाई के लिए ड्रिप लगाना पड़ता है। फिर लाइन से एक-एक फीट की दूरी पर पौधारोपण किया जाता है। फिर पौधा बड़े होते तक फूल आने तक बीच-बीच में निदाई गुड़ाई करना पड़ता है। फूल आने पर हर एक दिन के अंतराल में फूलों को तोडऩा भी पड़ता है।
समय पर गेंदा फूल नहीं मिलने पर खुद ही खेती करने का सोचा
देवेंद्र पटेल बताते हैं कि फूलों की व्यापार के समय जब हमें गेंदा फूल की आवश्यकता होती थी, तो हमें कोलकाता से मांगना पड़ता था, जो कई बार समय में नहीं मिलता था। जिससे हमारा और ग्राहकों को नुकसान होता था। तब मैंने गेंदा फूल की खेती करने के बारे में सोचा और पहले आधा एकड़ में गेंदा फूल की खेती की पहली बार में ही अच्छा रिजल्ट मिला, तब में कलकत्ता गेंदा फूल की खेती कर रहा हूं।
कोई भी कार्य मिलकर करने में आसानी होती है
देवेंद्र पटेल के माने तो कोई भी कार्य मिलकर करे तो वह काम आसान हो जाती है। मेरा छोटा भाई पप्पू पटेल खेतों में काम करता है उसका काम पौधा लगाने के बाद उसकी देखरेख निदाई गोड़ाई लेकर फूल तोडऩे तक का पूरा जिम्मा होता है और मैं सम्पूर्ण मार्केटिंग काम देखता हूं जैसे फूलों को मंडी में बेचने तथा ग्राहकों तक पहुंचाने का काम मेरा होता है। इससे हमें फूलों की खेती करने में आसानी होती है।