रायपुर
![2.5 लाख से अधिक की सरकारी खरीदी, और सप्लाई पर 1 फीसदी जीएसटी काटना अनिवार्य 2.5 लाख से अधिक की सरकारी खरीदी, और सप्लाई पर 1 फीसदी जीएसटी काटना अनिवार्य](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716196647G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 मई। वित्त विभाग ने सेंट्रल जीएसटी अधिनियम, 17 एवं छत्तीसगढ़ माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 51 के प्रावधानों के अनुसार शासकीय विभागों की सामग्री खरीदी एवं सेवा प्राप्ति पर प्रदायकर्ताओं तथा ठेकेदारों को किये जाने वाले भुगतान के स्रोत पर कर की कटौती कड़ाई से करने के निर्देश दिए हैं।
वित्त विभाग द्वारा समस्त विभाग अध्यक्ष राजस्व मंडल, कमिश्नरों, विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। शासकीय विभाग या स्थापना, स्थानीय प्राधिकारी, शासकीय अभिकरण, शासन के किसी भी डीडीओ द्वारा (किसी कराधेय वस्तु या सेवा हेतु) रूपये 2.5 लाख से अधिक भुगतान होने पर, 2 प्रतिशत (1 प्रतिशत ष्टत्रस्ञ्ज $ 1 प्रतिशत स्त्रस्ञ्ज अथवा 2 प्रतिशत) की दर से स्रोत पर कटौती किया जाना है।
अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सभी शासकीय विभागों तथा स्थानीय प्राधिकारियों को जीएसटी, के अंतर्गत स्रोत पर कटौतीकर्ता के रूप में रजिस्ट्रेशन लिया जाना है। विभागों द्वारा खरीदी जाने वाली सामग्री, मशीन-उपकरण, फर्नीचर, स्टेशनरी अथवा अन्य कोई भी वस्तुएं, निर्माण कार्यों एवं ठेकों तथा लिये जाने वाली किसी भी प्रकार की सेवाओं की राशि पर त्रस्ञ्ज-ञ्जष्ठस् करने के पश्चात्वर्ती माह की 10 तारीख तक रिटर्न त्रस्ञ्जक्र-07 में प्रस्तुत किया जाना है।
कई विभागों, कार्यालयों द्वारा के रूप में उक्त प्रावधानों के अंतर्गत जीएसटी पंजीयन नहीं लिया गया है तथा पंजीयन लेने वाले प्राधिकारियों द्वारा सही प्रकार से जीएसटी की स्रोत पर कटौती संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है। इससे राज्य शासन को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व की क्षति हो रही है।
यह भी सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी वस्तु अथवा सेवा प्रदाय कर्ता द्वारा एक वित्तीय वर्ष के दौरान एक ही क्रय/सेवा आदेश के विरूद्ध पृथक-पृथक देयकों में राशि का विभाजन करते हुए जीएसटी की स्रोत पर कटौती हेतु निर्धारित 2.5 लाख की सीमा का उल्लंघन न हो।
इसके साथ ही समस्त कोषालयों, उप कोषालयों, निर्माण विभागों, वन विभाग के भुगतान प्राधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि देयकों में प्रदायकर्ताओं की जीएसटीआईएन वैध हो।