महासमुन्द
![सुदामा जैसे मित्र होना सौभाग्य की बात है सुदामा जैसे मित्र होना सौभाग्य की बात है](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716197781-0213.jpg)
-आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20 मई। स्थानीय बीटीआई रोड स्थित श्री भरत-लीला मेंशन में लीला देवी चंद्राकर, सुष्मिता. आलोक चंद्राकर परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के रूकमणि हरण, शिशुपाल वध, द्वारिका दर्शन, सुदामा चरित्र, कृष्ण उद्धव संवाद के साथ श्रीमद् भागवत कथा का समापन फूलों की होली के साथ हुआ।
आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री चाय वाले बाबा सिलयारी धाम ने भगवान श्रीकृष्ण के लीलाओं का वर्णन किया। आचार्य श्री नरेंद्र नयन ने सुकदेव जी महाराज द्वारा राजा परीक्षित को सुनाए गए सुदामा चरित्र का भी वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि सुदामा जैसे मित्र होना सौभाग्य की बात है। सुदामा ने श्रापित चने को खाकर गरीबी का सारा दोष अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने माताओं-बहनों से कहा कि सुदामा की पत्नी देवी सुशीला पतिव्रता नारी थीं। उन्होंने कभी अपने पति सुदामा जी से शिकायत नहीं की। अभाव में भी प्रभु भक्ति में लीन रहे। आज मनुष्य को कष्ट आने पर भगवान याद आता है। लेकिन, सुदामा ने हर क्षण केवल हरिनाम का जाप किया। हरे राम हरे कृष्ण नाम के सहारे पूरा जीवन व्यतीत कर दिया।
उन्होंने कहा कि अच्छा श्रोता मिलने से वक्ता के हर शब्दों का महत्व बढ़ जाता है। आज भागवत कथा सुनने सैकड़ों लोग श्री भरत-लीला मेंशन में पहुंचे हैं। चार घंटे बैठकर कथा सुनना भी एक साधना के समान है। आप सभी यहां बैठकर जो साधना कर रहे हैं। उस पर बांकेबिहारी लाल की नजर है। आप सभी को भगवान का आशीर्वाद मिल रहा है। जो परम सौभाग्य की बात है। कथा श्रवण के दौरान सैकड़ों लोग श्री भरत लीला मेंशन में देर शाम तक उपस्थित रहे।