रायपुर
![चार कोल खदाने सरेंडर, सभी रिजर्व प्रोजेक्ट दायरे में थे चार कोल खदाने सरेंडर, सभी रिजर्व प्रोजेक्ट दायरे में थे](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1716282135G_LOGO-001.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 21 मई। छत्तीसगढ़ समेत देश के 4 कंपनियों ने अपनी-अपनी कोयला खदानें सरकार को लौटा दिए हैं। इनमें छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी, आंध्रप्रदेश विद्युत नियम हिंडाल्को इंडस्ट्रीज और गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन ने रायगढ़ जिले में आबंटित अपनी कोल खदानें सरकार को लौटा दी है। खनन लागत ज्यादा होने को कारण बताया जा रहा है।
पहले हिंडाल्को इंडस्ट्रीज ने गारे पेलमा 4/5 को सरेंडर किया। यहां एक मिलियन टन प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा था। पीक रेटेड कैपेसिटी हासिल करने के बाद हिंडाल्को ने माइंस को सरेंडर कर दिया। अंडरग्राउंड माइंस होने के कारण तकनीकी दिक्कतें आ रही थी। कोयला खनन करना बेहद महंगा हो गया था। प्रति टन कॉस्ट ज्यादा हो रही थी।
सरकार ने भी सरेंडर के बाद माइंस टर्मिनेशन ऑर्डर जारी कर दिया है। इसी तरह गुजरात स्टेट इलेक्ट्रिसिटी कॉरपोरेशन को गारे पेलमा सेक्टर 1 कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था। कंपनी ने इस माइंस को डेवलप करने में कोई रूचि ही नहीं दिखाया। यहां का कोयला गुजरात के पावर प्लांट ले जाया जाना था जो व्यवहारिक रूप से सही नहीं था। कंपनी ने माइंस को सरेंडर कर दिया। कोल मंत्रालय ने इस माइंस की नीलामी की जिसमें जेपीएल ने इसे प्राप्त किया। अब रायगढ़ में जेपीएल के पांच कोल ब्लॉक हैं जो एकदूसरे से जुड़ी हुई हैं।
इसी तरह से कोरबा जिले के हसदेव अरण्य क्षेत्र में मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक का आबंटन, आंध्रपे्रदेश खनिज निगम को किया गया था। मोरगा कोल ब्लॉक छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी को दी गई थी। उसने भी यह खदान सरेंडर कर दी है। किन्तु लेमरू हाथी प्रोजेक्ट के दायरे में आने से दोनों कंपनियों ने लौटा दिया।