कोरिया

अंतरकलह और संसाधनों का कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंचना भाजपा की हार की मुख्य वजह
05-Jun-2024 7:15 PM
अंतरकलह और संसाधनों का कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंचना भाजपा की हार की मुख्य वजह

कांग्रेस की एकमात्र सांसद बनीं ज्योत्सना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बैकुंठपुर (कोरिया), 5 जून। लोकसभा चुनाव में कोरबा लोस क्षेत्र में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है, कोरिया की बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में भाजपा की 25 हजार 413 मतों की लीड को पाटकर कांग्रेस ने 1024 से जीत दर्ज की, सिर्फ भरतपुर में भाजपा का वोट बढ़ा है, जबकि बैकुंठपुर और मनेन्द्रगढ़ में भाजपा के वोटर उससे अलग हुए है। इसकी मुख्य वजह भाजपा संगठन की अंतरकलह और संगठन से आए संसाधानों का कार्यकर्ता तक नहीं पहुंचना प्रमुख है। यदि कांग्रेस के घोषणा पत्र के अनुसार महिलाओं को 1 लाख रू., संविधान और आरक्षण बचाओ का फैक्टर होता तो इसका असर राज्य की सभी सीटों पर दिखने को मिलता।

लोकसभा चुनाव में अविभाजित कोरिया की तीनों सीट पर भाजपा साफ हो चुकी है, कांग्रेस ने भाजपा का करारी शिकस्त दी है। बैकुंठपुर विधानसभा में पहले राउंड में ही भाजपा को मात्र 700 मतों की लीड मिली, तभी से तय हो गया कि परिणाम कांग्रेस की ओर जाने वाला है।

विधानसभा चुनाव में पहला राउंड जो भाजपा का गढ़ माना जाता है, वहां से भाजपा को 3000 से ज्यादा की लीड मिली थी, वहीं भाजपा को चरचा शहरी क्षेत्र और बैकुंठपुर से काफी मत मिले, परन्तु 11वें राउंड के बाद कांग्रेस ने 11 हजार की लीड पर चल रही भाजपा का पीछे कर दिया और 17वें राउंड के कुछ ही पोलिंग में कांग्रेस ने 1024 से भाजपा का मात दे दी। बैकुंठपुर विधानसभा का बचरापोड़ी क्षेत्र चुनाव के समय से ही भाजपा का नुकसान होने की बात सामने आ रही थी, बावजूद इसके भाजपा ने उसे ठीक करने कोई पहल नहीं की। 

सरोज पांडेय को भीतरघात का था अंदेशा

जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव में आए परिणामों ने भाजपा की कलई खोल कर रख दी है। प्रत्याशी सरोज पांडेय को उनके चुनाव में भीतरघात का अंदेशा था, परिणाम पूर्व वो बैकुंठपुर आई थी और संगठन के पदाधिकारियों को जमकर खरीखोटी सुनाकर गई थीं।

चुनाव के दौरान पटना में मुख्यमंत्री सभा का फ्लाप होने के बाद प्रत्याशी सरोज पांडेय ने बैकुंठपुर पर खास ध्यान देना शुरू किया, उन्होंने अविभाजित कोरिया की तीनों सीट पर पूरा जोर लगाया, परन्तु जब तक काफी देर हो चुकी थी, तमाम कार्यक्रमों में भाजपा की संगठन की लापरवाही से कांग्रेस को बल मिलता गया और जनता में भाजपा के खिलाफ मैसेज जाता गया। हार के बाद संगठन के कुछ प्रमुख पदाधिकारियों के चेहरों पर किसी भी तरह का मलाल नहीं देखा जा रही है। विधानसभा की जीत का श्रेय भले भाजपा का संगठन ले रहा है, परन्तु कांग्रेस के विधायक के खिलाफ लोगों में जमकर आक्रोष का फायदा भाजपा को मिला था, आक्रोंष का कारण कोरिया जिले का विभाजन से लेकर कांग्रेस के अंदर आपस की लड़ाई भी थी, ठीक लोकसभा चुनाव में वहीं हाल भाजपा का था, यहां आपस में एक दूसरे को कमतर दिखाने कोई पीछे नही था।

विधानसभा से कम मत मिले भाजपा को

6 महिने पहले 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव में भाजपा को जितने मत मिले थे, वो लोकसभा चुनाव में कम हो गए। भरतपुर सोनहत में भाजपा की रेणुका सिंह को कुल मत 55809 मिले थे, जबकि इस विधानसभा में भाजपा के मत बढ़े लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय को 57689 मत मिले। वहीं मनेन्द्रगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान श्याम बिहारी जायसवाल को कुल मत 48503 मिले थे, जबकि लोकसभा चुनाव में 6310 मत कम मिले और कुल मत 42193 मिले, जबकि बैकुंठपुर विधानसभा में भइयालाल राजवाड़े को विधानसभा चुनाव 66866 मिले थे, जबकि लोकसभा चुनाव में 5443 मत कम मिले। इस चुनाव में भाजपा को कुल 61423 मत मिले, साफ है कि भाजपा के मतों में काफी कमी आई है।

करारी हार मिली भाजपा को

विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा का 42042 मतों की लीड मिली थी, जिसमेें बैकुंठपुर विधानसभा में 25413, भरतपुर सोनहत में 4749 और मनेन्द्रगढ़ में 11880 की बढत थी, वहीं कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में 42042 हजार की लीड को पाटकर बैकुंठपुर में 1024, भरतपुर सोनहत में 7166, मनेन्द्रगढ़ में 4532 मतो जीत दर्ज की। कांग्रेस ने तीनों विधानसभा में 12722 मत प्राप्त किए।

ऐसा तब हुआ है कि जब कांग्रेस की ओर न तो ज्यादा प्रचार पर ध्यान दिया गया और न ही उसके ज्यादा स्टार प्रचारकों ने आकर उनकी प्रत्याशी ज्योत्सना महंत के लिए प्रचार किया। सिर्फ चिरमिरी में कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने आकर प्रचार किया था, जबकि भाजपा के मुख्यमंत्री से लेकर तमाम केन्द्रीय मंत्री और सरकार के मंत्रियों ने अपनी ताकत झोंकी थी।

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