गरियाबंद
![उदंती सीतानदी अभ्यारण की निगरानी सेटेलाइट से उदंती सीतानदी अभ्यारण की निगरानी सेटेलाइट से](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1717941052MG-20240609-WA0217.jpg)
400 किमी बाघ कॉरीडोर पर भी होगी नजर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मैनपुर, 9 जून। उदंती सीता नदी अभ्यारण्य प्रशासन अब अपने 1842 वर्ग किलो मीटर इलाके में फैले क्षेत्र की सेटलाइट से मॉनिटरिंग करने जा रही है। क्लाउड कम्प्यूटिंग एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल कर गूगल अर्थ इंजन की मदद से रिमोट सेंसिंग का ऑपरेट किया जाएगा। गूगल अर्थ इंजन में मौजूद रिकार्ड को अपने पोर्टल में बड़ी आसानी से और बेहतर क्वालिटी के साथ देखने,सुरक्षित किया जाएगा। देश में पहली बार किसी अभ्यारण्य की मॉनिटरिंग सेटलाइट से होगी।
उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि सुरक्षा गत कारणों के कारण यह डेटा पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध नही होगा, लेकिन अभ्यारण्य इलाके में जारी प्रत्येक वानिकी कार्य का डेटा ड्रोन मेपिंग पोर्टल के जरिए कोई भी व्यक्ति आसानी से देख सकेगा। आईआईआरएस (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसर ) के पूर्व छात्रों द्वारा बनाई गई एक संस्थान के साथ मिलकर यह पोर्टल तैयार किया गया है। जैन ने दावा किया है कि यह देश की पहली संस्थान है जिसकी मॉनिटरिंग सेटेलाईट पोर्टल से होगी। इसकी रूपरेखा 2022 में बनाई गई थी। तकनीकी कारणों से इसे पिछले 7 माह में नए सिरे से तैयार किया गया है इसकी लागत 2.85 लाख आया।जैन ने बताया कि फिलहाल विभाग इसकी मदद लेना शुरू कर दिया है। आने वाले 10 दिनों में इसे आम पब्लिक के लिए सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
बाघ कारीडोर की निगरानी भी इसी से
400 किलोमीटर लम्बे इन्द्रावती-सीतानदी-उदंती-सुनाबेड़ा टाइगर कॉरिडोर में वर्ष 2010-2023 तक वन एवं जल आवरण में आये परिवर्तन को इस पोर्टल से देखा जा सकेगा। कॉरीडोर में डिस्टर्बेस की वजह से महाराष्ट्र के अतिरिक्त बाघों (जो नई टेरिटरी की खोज में विचरण करते है) की छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आवाजाही लगभग बंद है, ऐसे में टाइगर कॉरीडोर में आये नकारात्मक वन एवं जल आवरण बदलाव वाले क्षेत्रो को चिन्हांकित कर अवैध वृक्ष कटाई विरोधी अभियान एवं शिकारियों के विरुद्ध एन्टी पोचिंग ऑपरेशन चलाये जा सकेंगे।
अवैध कटाई पर लगेगी लगाम
उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की 125 किलोमीटर सीमा ओडिशा से लगी हुई है, जो अतिक्रमण और अवैध कटाई के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील है। दुर्गम और नक्सल प्रभावित होने के कारण यहा की पेट्रोलिंग जोखिम भरा होता था। अब इमेजरी की तुलानात्म अध्ययन से पता अवैध कटाई व अन्य गतिविधियों का पता आसानी से लग जायेगा। पोर्टल में आए इमेज लाल डॉट्स से अवैध कटाई के संकेत देंगे।
वन जल आवरण का आंकलन भी हो सकेगा
पोर्टल हर पांच दिवस में सॅटॅलाइट डाटा के माध्यम से वन आवरण और जल आवरण की तुलनात्मक रिपोर्ट बताने में सक्षम होगा। जल,भूमि सरंक्षण व पर्यावरण के लिए काम करने वाले विभाग के लिए भी आवरण रिपोर्ट सहायक साबित होगा।
ड्रोन मैपिंग पोर्टल अभ्यारण्य के
सभी कार्यों पर पारदर्शिता रखेगा
कहावत थी -‘जंगल में मोर नाचा किसने देखा’ पर विभाग के ड्रोन पोर्टल के माध्यम से आमजन जंगल के भीतर हो रहे कार्य को आसानी से देख सकता है। योजनाओं के तहत कराए जा रहे वानिकी कार्यों को ड्रोन मैपिंग कर,हाई रिसोलूशन इमेजरी पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध रहेगी।
वृक्षारोपण क्षेत्र में पौधा संख्या, गड्डा संख्या, सालाना पौधे का विकास देख और माप सकेंगे । वृक्षारोपण के पूर्व और पश्चात की इमेजरी/लेयर को एक के ऊपर एक सुपर इम्पोस कर लेयर को ऑन-ऑफ कर आंकलन कर सकते है। पोर्टल पर ही अपनी शिकायत या सुझाव साझा भी कर सकेंगे।
विभाग के प्रति लोगों का विश्वास व संबंध गहरा होगा। अवैध कटाई वाले स्थानों में कराए जा रहे वानिकी कार्य भी विभाग के लगन मेहनत को दर्शाया गया, इससे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ अभियान चलाने में लोगो की मदद मिलने लगेगा। मनोभाव परिवर्तन करने में भी यह पोर्टल सहायक साबित होगा।