बलौदा बाजार
![बलौदाबाजार हिंसा के तार एक संगठन से जुड़े होने की बात बलौदाबाजार हिंसा के तार एक संगठन से जुड़े होने की बात](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1718374687alodabazar-200.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 14 जून। बलौदाबाजार में हुई हिंसा ने सरकारी लोकतंत्र को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हिंसा में शामिल लगभग सभी उपद्रवी युवा थे। इनमें से अधिकांश के तार एक संगठन से जुड़े होने की बात पुलिस के सामने आई है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अविनाश ठाकुर ने बताया कि अभी तक 100 लोगों को गिरफ्तार किया है। गहन पूछताछ की जा रही है। उनके अपराधी रिकॉर्ड भी खंगाल जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर जिला कलेक्ट्रेट में सामान्य दिनों की तरह कामकाज भी फिर से शुरू हो गया है। वहीं कलेक्टर परिसर स्थित संयुक्त कार्यालय में आगजनी व तोडफ़ोड़ में क्षतिग्रस्त वाहनों के बीमा क्लेम दिलाने के लिए जन सुविधा केंद्र बनाया है। इस केंद्र में बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए जिनके दो पहिया वाहन परिवहन क्षतिग्रस्त हुए हैं वे आवेदन जमा कर सकते हैं।
राजनीति शुरू, कांग्रेस-बीजेपी ने एक दूसरों पर लगा रहे आरोप
हिंसा ने सियासी रूप ले लिया है। कांग्रेस इस घटना को सरकार की नाकामी से उपजे आक्रोश का परिणाम बता रही है। तो भाजपा को इनमें कांग्रेस की साजिश दिख रही है।
सरकार सख्त, नुकसान की भरपाई होगी
बलौदाबाजार में हुई हिंसा ने सरकारी तंत्र को सोचने पर मजबूर कर दिया है। करोड़ों रुपए सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। पुलिस ने इस पर 21 सदस्यीय एसआईटी बना दी है। विपक्ष ने भी जांच के लिए एक दल बनाया है। मुख्यमंत्री अरुण साव ने स्पष्ट कर दिया है। कि सरकार दोषियों से शक्ति से निपटेगी।
बुधवार को डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि राज्य सरकार ने घटना को बेहद गंभीरता से लिया है। इस मामले में जांच की जा रही है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। आगजनी में सरकारी संपत्ति को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई की जाएगी।
इधर, भाजपा सरकार के मंत्रियों ने पहले ही कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अब दोषियों से भरपाई वाली बात कांग्रेस को रास नहीं आ रही है। पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया ने कहा सरकार अपनी असफलता से बचने के लिए निर्दोष को टारगेट करना चाहती है।
सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे हैं भडक़ाऊ मैसेज
जिस तरह के संगठन व उनके पदाधिकारी उग्रता से इन आंदोलन के पहले रणनीति बना रहे थे, वहीं आंदोलन के दौरान भी जिस तरह इसे पेश कर रहे हैं। उसे लगता है कि यह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है। आगजनी के बाद भी इस संगठन के लोगों का सोशल मीडिया में ‘कलेक्टरेट तो झांकी है विधानसभा बाकी’वाले मैसेज वायरल किया जा रहे हैं।
सरकार अपनी नाकामी छुपाने निर्दोषों को जेल में डाल रही-डॉ. शिव कुमार डहरिया
कांग्रेस की बनी जांच कमेटी ने गुरुवार को गिरोधपुरी में जांच की, वहीं प्रेसवार्ता में संयोजक कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया ने कहा कि भाजपा सरकार के लोग अगर पहले ही जांच कमेटी बनाते तो यह आक्रोश नहीं भडक़ता। भाजपा के ठेकेदार ने दो मजदूरों को अपराधी बनाकर पेश कर दिया। जिससे समाज संतुष्ट नहीं था। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब है। निरापरध लोगों को जेल में डाल रहे हैं। असली दोषियों की गिरफ्तारी नहीं की है। हालांकि उन्होंने आरोप लगाने के दौरान यह भी बताया कि उनके अनुसार दोषी कौन है और किन लोगों ने इसे अंजाम दिया। जब उसे सोशल मीडिया पर चल रहे मैसेज के बारे में पूछा तो उन्होंने बस इतना ही कहा यह पता लगाना सरकार का काम है।
गांव में मुनादी कराई, पंपलेट पोस्ट बताकर लोगों को बुलाया
पता चला है कि कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन के लिए भीड़ जुटाना का काम सुनायोजित तरीके से किया गया, इसके लिए बलौदाबाजार और गरियाबंद के आसपास के कई गांव में बाकायदा मुनादी कराई गई।
बताया जा रहा है कि युवकों को समाज की दुहाई देकर आने के लिए बाधित किया गया। इसके अलावा मोबाइल पर संदेश भेजे गए व पांपलेट भी बांटे गए।
बलौदाबाजार के पास के एक गांव के युवक ने बताया कि गांव-गांव मुनादी की गई और पंपलेट बांटे। युवक के मुताबिक लोगों को यह नहीं बताया गया कि कलेक्ट्रेट में उग्र प्रदर्शन होगा। सामाजिक बैठक का हवाला देकर भीड़ जुटा गई थी। युवकों का कहना है कि हम तो समाज की बैठक में गए थे। हिंसा फैलाने वाले निश्चित ही बाहरी तत्व थे।
षड्यंत्र की जांच की जा रही- एसपी
बलौदाबाजार के एसपी विजय अग्रवाल ने कहा कि इस प्रदर्शन के पीछे षड्यंत्र की बारीकी से जांच की जा रही है। समाज के आंदोलन में इस तरह की हिंसा का जिक्र नहीं था फिर हिंसा कैसे हुई इस दिशा में पुलिस की जांच जारी है।
प्रशासन से चूक तो नहीं
मुंगेली में प्रदर्शन के बाद बलौदाबाजार में महा आंदोलन का ऐलान करने के बाद भी प्रशासन ने इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया, यह भी विचारणीय विषय है। ग्रामीणों को जुटाना और युवकों को भडक़ाने की आशंका पहले से की गई थी। बावजूद जिला और पुलिस प्रशासन से लापरवाही हुई। यही वजह है की घटना के दूसरे दिन ही राज्य सरकार ने बलौदाबाजार के कलेक्टर और एसपी को बदल दिया।
कलेक्टर-एसपी सस्पेंड
बलौदाबाजार हिंसा की घटना के बाद पद से हटाए गए कलेक्टर कुमार लाल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को सस्पेंड कर दिया गया है। इस बारे में राज्य सरकार ने देर रात आदेश जारी किया।