रायपुर

4 माह से वेतन भुगतान नहीं आक्रोश में वनमंत्री निवास घेर चुके हैं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 जुलाई। वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को विगत 4-5 माह से वेतन भुगतान नहीं किया गया। उस पर वित्त विभाग से आवंटन के बाद भी 4,000 रूपया श्रम सम्मान का भी अतापता नहीं है। अपनी इन मांगों को लेकर ये दैवेभो कर्मचारी 15 जुलाई को पीसीसीएफ कार्यालय का घेराव करने जा रहे हैं।
जाबदर कर्मचारियों को भुगतान नही किया जाना है उन लोगों को भी उनके वेतन में बढ़ोतरी कर दिया गया है किसी की शैक्षणिक योग्यता का परिक्षण भी नहीं किया गया है उसके बाद भी मनमानी तरीके से 21255 रूपया का वेतन भुगतान कर रहे है। जबकि वन मंत्री ने संगठन को आश्वस्त कराया था कि किसी भी जाबदर डाटा एन्ट्री आपरेटर का 4,000 रूपया बढ़ोतरी नही होगा, अगर होगा तो पुरे छत्तीसगढ़ में कार्य करने वाले डाटा एन्ट्री आपरेटर, कम्प्युटर आपरेटर का होगा कहा लेकिन प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने एकाएक से वेतन बढ़ोतरी कर दिया, वही छग. दैवेभो वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों को वन मंत्री ने जगदलपुर में आश्वासन दिया था कि वन रक्षक, वाहन चालक के सीधी भर्ती पर रोक लगाने पीसीसीएफ को बोल दिया है।
उसके बाद भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा भर्ती में रोक लगाने संबंधी कोई पत्र जारी नहीं किया गया। जिससे दैवेभो कर्मचारियों में नेव वन मंत्री निवास का घेराव कर दिया था । इनकी चार मांगे हैं- वन रक्षक के 1484 व वाहन चालक के 144 पदों के सीधी भर्ती पर तत्काल रोक लगायें! 4-5 माह से लंबित वेतन भुगतान तत्का किया जावें! तीसरा दैनिक वेतन भोगी को 4,000 रूपया श्रम सम्मान भुगतान प्रतिमाह की जाए।
31 दिसंबर 2017 के पश्चात जितने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी व श्रमिकों को प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय, अधिकारियों के बंगला, मुख्य वन संरक्षक कार्यालय, वन मंडल कार्यालय, रेंज कार्यालय में रखा गया है। उन्हे पृथक कर 10-15 वर्षों से कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी लोगों को सुरक्षित किया जाए का मांग किया गया हैं । दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने अगाह कर दिया है कि अगर सीधी भर्ती पर वन मंत्री रोक नही लगाते है, लंबित वेतन भुगतान नही करते है, नियमितीकरण नही करते है तो कर्मचारी उग्र आंदोलन करेंगें संगठन के सभी मंत्रियों ने हमारे मंच में आकर आश्वासन दिया था कि नियमितीकरण होगा करके रहेंगें।और आज वहीं मंत्री घुमा रहे है। मुख्यमंत्री से मिलिये वही नियमितीकरण के लिये हरी झंडी देंगें तो हम करने के लिये तैयार है कहते है। और उधर मुख्यमंत्री पूर्ववर्तिय कांग्रेस सरकार की तरह समिति समिति का खेल खेल रहे हैं।
छ: माह बित जाने के बाद भी समिति का अता पता नही है, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के मन में अब येसा विचार आने लगा है कि कांग्रेस सरकार की तरह ये सरकार भी मोदी की गारंटी कह कर समिति समिति कहकर पाँच साल बिताने वाला है नियमितीकरण करेगा या नही यह संशय बना हुआ हैं, जिसके कारण दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी लोग उग्र आंदोलन की तैयारी में जुट रहे हैं।