गरियाबंद
![नगर में बहेगी चार माह तक धर्म की गंगा, श्रद्धालु करेंगे जिनवाणी का रसपान नगर में बहेगी चार माह तक धर्म की गंगा, श्रद्धालु करेंगे जिनवाणी का रसपान](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/17212948723.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 18 जुलाई। जैन धर्म के अनुयायी चार माह मंदिर जाकर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा आदि करते हैं या सभी धर्म के लोग गुरुवरों एवं आचार्यों द्वारा सत्संग का लाभ प्राप्त करते हैं। संतों द्वारा मनुष्यों को सद्मार्ग दिखाया जाता हैं। यह हर तरह की जिज्ञासा और इच्छाओं को शांत करने के माह होते हैं और यही वह चार माह है जबकि धर्म को साधा या जाना जा सकता है।
समाज को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास
चातुर्मास में ही जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व पर्युषण पर्व मनाया जाता है। यदि वर्षभर जो विशेष परंपरा, व्रत आदि का पालन नहीं कर पाते वे इन 10 दिनों के पर्युषण पर्व में रात्रि भोजन का त्याग, ब्रह्मचर्य, स्वाध्याय, जप-तप मांगलिक प्रवचनों का लाभ तथा साधु-संतों की सेवा में संलिप्त रह कर जीवन सफल करने की मंगलकामना कर सकते हैं। यह चार माह व्यक्ति और समाज को एक सूत्र में पिरोने का भागीरथ प्रयास भी है।
जागा नगर का सौभाग्य
इस बार नगर का सौभाग्य जागा है। स्थानीय श्वेताम्बर संघ को तीन साध्वियों के चातुर्मास कराने का अवसर मिला है। वहीं दिगंबर जैन समाज को दो आर्यिका माताजी के संघ का चातुर्मास कराने का सुअवसर मिला है।
संघ परिचय
बुंदेलखंड के प्रथम आचार्य, युग प्रतिक्रमण प्रवर्तक, गणाचार्य समाधिस्थ आचार्य विराग सागर जी महाराज की प्रशिष्या, आचार्य विभव सागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका स्वाध्याय एवं चर्या माताजी का नगर प्रवेश 17 जुलाई को हो गया है। वहीं महत्तरा पद विभूषिता श्रद्धेय मनोहर जी म.सा. की सुशिष्या पू .संघमित्रा श्रीजी, पू. अमीपूर्णा श्रीजी, पू. मेरुशीला श्रीजी म.सा. के चातुर्मासिक नगर प्रवेश 14 जुलाई को हो चुका है।
बहेगी धर्म की गंगा, करेंगे लोग जिनवाणी स्तुति
संत किसी समाज विशेष के नहीं होते हैं उनकी कृपा तो जन जन पर बरसती है। नगर के पुण्योदय से पूरे क्षेत्र को धर्म लाभ मिलेगा। संत ही समाज को दिशा देते हैं। सभी आयु वर्ग के लोग उनकी चर्या में सहयोगी बन धर्म लाभ लेते हुए पुण्य अर्जन कर अपना जीवन सफल करेंगे।