कवर्धा

सवा करोड़ की मरम्मत के बाद भी भोरमदेव मंदिर में टपक रहा है पानी
28-Jul-2024 3:00 PM
सवा करोड़ की मरम्मत के बाद भी भोरमदेव मंदिर में टपक रहा है पानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बोड़ला, 28 जुलाई। छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शुमार भोरमदेव मंदिर का अस्तित्व  पर संकट मंडराने लगा है। सावन माह के बारिश से मंदिर के अनेक स्थानों में पानी टपकने लगा है।

 जिला प्रशासन के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी मंदिर के ठीक से मरम्मत नहीं होने के करण तेज बारिश में मंदिर के अंदर पूजा करने में पूजारियों को व दर्शन करने में श्रद्धालुओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

पुरातत्व विभाग ने करवाया था कम

छत्तीसगढ़ का खुजराहो कहा जाना वाला भोरमदेव का मंदिर 11वीं शताब्दी के अंत में निर्मित मंदिर है। यह मंदिर राजधानी रायपुर से 120 किमी दूर और कवर्धा जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर मैकल पर्वत श्रृंखला में ग्राम छपरी के निकट स्थित है। यहां पिछले वर्ष 2023में पानी टपकने और कई समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन के पहल पर पुरातत्व विभाग के द्वारा मंदिर का  मरम्मत कार्य किया गया था, जिसमें लगभग सवा करोड़ रूपया खर्च किया गया था ।

जगह-जगह से हो रहा है पानी का रिसाव

भोरमदेव मंदिर में बारिश के चलते मंदिर के गर्भ गृह के सामने जहां भक्त खड़े होकर दर्शन के लिए कतरबद्ध होते हैं, वहा पर बड़ी मात्रा में पानी टपक रहा है। बाल्टी लगाकर पानी को लिया जा रहा है। इसके अलावा मन्दिर परिसर के कई स्थानों पर भी लगातार पानी टपक रहा है  पुरातात्विक महत्व के स्थान होने के कारण इसके सुधार के लिए पुरातत्व विभाग पर बड़ी राशि खर्च करके सुधार कार्य कराया गया था, उसके बाद भी पानी रिसाव की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।

मंदिर को बचाने की मांग

क्षेत्र के लोगों के द्वारा बारिश में पानी टपकने को गंभीरता से लेटे हुए इसे बचाने की मांग कर रहे हैं । बोड़ला नगरपंचायत के पूर्व एल्डरमेन दीपक माग्रे ने कहा कि क्षेत्र के प्रमुख शिवालय 11वीं शताब्दी के भोरमदेव मंदिर का क्षेत्रीय महत्व है इसके अलावा यह राज्य के प्रमुख पर्यटक स्थलों में एक माना जाता है। इसे एक तीर्थस्थल माना जाता है, यहाँ पर काफी दूर दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

सावन के महीने में तो पूरे माह जिले व आसपास के कांवडिय़ों की भीड़ जल चढ़ाने पहुंचते है। ऐसे में  प्रसिद्ध मंदिर के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के द्वारा कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इस क्षेत्रीय पुरातत्व धरोहर को बचाने के लिए अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाया गया तो पुरातत्व महत्व के प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता है।

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