महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 29 जुलाई। छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमावर्ती क्षेत्र ग्राम द्वारतरा बागबाहरा का जलाशयनुमा तालाब पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण कल सुबह फूट गया। जिसकी मिट्टी पानी से 20-25 किसानों की 60-70 एकड़ खेत पट गई। उसमें लगी धान की फसल इसकी चपेट में आ गयी।
उक्त जलाशय तालाब को लगभग ढाई दशक पहले राहत कार्य के तहत बनाया गया था। यह किस विभाग के तहत बनाया गया था, ग्रामवासी इससे अनभिज्ञ हैं। लेकिन इतना अवश्य जानते हैं कि जनपद पंचायत मछली पालन के लिये इसे ठेके में देती है। ग्राम द्वारतरा से ओडिशा सीमा की दूरी बमुश्किल 2 किमी है। सीमा पार ओडि़शा का तेन्दूबाहरा नाम का ग्राम स्थित है। इसी रास्ते में द्वारतरा कला जलाशय नाम का तालाब स्थित था। इस जलाशय में कल सुबह पानी का रिसाव हुआ और फिर उसकी मेढ़ बीच से फूट गया।
इस संबंध में ग्राम पंचायत द्वारतरा कला के सरपंच भूखन सिन्हा ने बताया कि कल सुबह 5-6 बजे के आसपास उक्त घटना घटित हुयी। उन्होंने बताया कि उस तालाब से सिंचाई नहीं होती थी। लेकिन उसके नीचे किसानों के खेत थे। जलाशय का मेढ़ फूटते ही उसका पानी खेतों में जा पहुंचा। कई खेतों के मेढ़ फूट गए। फसल चौपट हो गई। खेतों में मिट्टी पट जाने से उनमें लगी धान की फसल चौपट हो गयी। लगभग 20-25 किसानों के 60-70 एकड़ खेत खराब हो गये। जिन्होंने वर्षों की कड़ी मेहनत से खेत तैयार किये थे।
इस घटना से द्वारतरा खुर्द एवं भालू कोना ग्राम के किसान प्रमुख रूप से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने शासन से क्षतिपूर्ति की मांग की है।
भूखन सिन्हा ने बताया कि अजीत जोगी के मुख्यमंत्री काल में अकाल पडऩे के कारण राहत कार्य के तहत उक्त तालाब का निर्माण हुआ था। इसे किस विभाग द्वारा बनाया गया उसकी जानकारी नहीं है।
उनका कहना है कि उक्त जलाशय तालाब का गेट, उलट भी बना हुआ है। कुछ दूर तक नहर भी नहीं थी। लेकिन समुचित सिंचाई व्यवस्था नहीं होने से उस तालाब से सिंचाई होती थी। रखरखाव के अभाव में 15 साल पहले गेट के पास यह जलाशय क्षतिग्रस्त हो गया था। चूंकि सिंचाई विभाग ने उसे अपना तालाब होने से इंकार कर दिया था। अत: पंचायत की तरफ से गेट के पास हुये क्षतिग्रस्त हिस्से को मिट्टी मुरम डालकर दुरस्त कर दिया गया था।
सरपंच श्री सिन्हा का कहना है कि तालाब में पानी आवक अच्छी है। इसे शुरूआत में ही सिंचाई हेतु ठीक से बनाया जा सकता था।
कल की घटना के संबंध में उन्होंने बताया कि पिछले दिनों से हो रही बारिश से तालाब में अच्छा खासा पानी भर गया था। उलट भी शुरू हो गया था। शायद तालाब की पुरानी मेड़ पानी के दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पाया और हादसा हो गया। उन्होंने कहा इन दिनों खेतों में किसानी का काम चल रहा है। लोग आठ नौ बजे खेतों में पहुंचते हैं। यदि उक्त हादसा सुबह 5-6 बजे की बजाय दिनों में होता तो मामला गंभीर हो सकता था। क्योंकि उस समय लोग खेतों में काम कर रहे होते।
मछलियों को पकडऩे होड़
एक ओर जहां तालाब के फूट जाने से खेतों में पानी, मिट्टी भर गयी है। वहीं दूसरी ओर तालाब के खाली हो जाने से लोग पानी में बह रही मछलियों को पकडऩे दौड़ पड़े। मछली पकडऩे के लिये मेला सा लग गया था, जो दोपहर तक चली। लोग अपने-अपने ढंग से मछलियां पकड़ते देखे गये। उल्लेखनीय है कि जनपद इस तालाब को मछली पालन हेतु देता है। जिसकी वजह से इस बारिश से पहले तालाब में पड़े पानी में काफी मछलियां थीं।