बलौदा बाजार

बढ़ते संयंत्रों के साथ खैरवारडीह और सोनबरसा जंगल अस्तित्व पर मंडरा रहा है संकट
01-Aug-2024 2:46 PM
बढ़ते संयंत्रों के साथ खैरवारडीह  और सोनबरसा जंगल अस्तित्व पर मंडरा रहा है संकट

वन्यजीवों की संख्या भी हो रही प्रभावित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता        
बलौदाबाजार, 1 अगस्त।
करीब 20 25 वर्ष पूर्व छोटे वन्य प्राणियों से आबाद रहने वाले जिला मुख्यालय से लगे सोनबरसा एवं खैरवारडीह जंगल पर सीमेंट संयंत्रों के अलावा अन्य औद्योगिक इकाइयों की स्थापना का सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ रहा है। फिलहाल वन विभाग द्वारा चैन लिंकिंग बाउंड्रीवॉल निर्मित कर इन जंगलों को घेर दिया गया है। जिसके चलते पूर्व में इन दोनों जंगलों में आसानी से माइग्रेट करने वाले वन्यजीवों का आवागमन भी पूर्णत: बंद हो गया है। 

जिसका विपरीत प्रभाव वन प्राणियों के प्रजनन पर भी पढ़ रहा है। सर्वाधिक प्रभावित जंगल खैरवारडीह है जो चारों ओर से जिला के प्रमुख सीमेंट संयंत्रों अथवा उनकी खदानों से घिरा हुआ है। इसके समीप ही एक अन्य सीमेंट संयंत्र की स्थापना का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है। जिससे इसके भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं  विदित हो कि बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से महज 7 से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 276 एकड़ क्षेत्र में विस्तृत खैरवारडीह जंगल की स्थिति है। इसके पूर्व उत्तर पूर्व में तथा उत्तर दिशा में सीमेंट संयंत्र स्थित है। इसके अलावा इस जंगल से लगे चार प्रमुख सीमेंट संयंत्रों के खदान भी हैं जबकि एक नवीन सीमेंट संयंत्र भी यहां स्थापित हो चुका है। जिसके चलते अब इस जंगल के वन्य प्राणी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं यद्यपि संयंत्र ध्वनि प्रदूषण नहीं होने का दावा करते हैं परंतु रात्रि के दौरान संयंत्रों की बड़ी मशीनों के संचालन से उत्पन्न तीव्र वाइब्रेशन एवं खदानों में प्रतिदिन किया जा रहे विस्फोटक से इन जंगलों में निवासरत संवेदनशील प्राणी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं वही जंगल के किनारे से गुजरने वाले बलौदाबाजार सिमगा मार्ग तथा ग्राम कुकुरदी खैरवारडीह होकर सिमगा मार्ग से जुडऩे वाले कच्ची सडक़ पर भी वाहनों के आवागमन व शोर का प्रभाव भी इन पर पड़ रहा है। यही स्थिति ग्राम लटुवा से लगे व 637 हेक्टेयर में विस्तृत सोनबरसा जंगल की भी है। वर्तमान में ग्राम खजुरी में स्पंज आयरन संयंत्र की स्थापना का कार्य भी जोर-शोर से जारी है। ग्रामीणों द्वारा पिछले करीब 6 माह से संयंत्र की स्थापना के विरोध करने के बावजूद शासन प्रशासन द्वारा मामले में कार्रवाई नहीं किया जा रहा है। स्पंज आयरन संयंत्र की स्थापना के बाद इसकी चिमनी से निकलने वाले धुएं से सोनबरसा जंगल के पर्यावरण को क्षति पहुंचाने की आशंका भी बनी हुई है। ग्रामीणों ने इस जंगल को बचाने एवं उक्त संयंत्र की स्थापना का विरोध करते हुए जनहित याचिका भी उच्च न्यायालय में दायर किया जा चुका है। 

समाप्त हुई माइग्रेशन की संभावना 
बलौदाबाजार भाटापारा मार्ग पर तथा बलौदाबाजार सिमगा मार्ग पर सीमेंट संयंत्र के बड़े खदानों के अस्तित्व में आने के बाद से खैरवारडीह से सोनबरसा परस्पर माइग्रेट करने वाले जानवरों का आवागमन पूरी तरह बंद हो चुका है। वहीं वन प्राणियों के सुरक्षा की दृष्टि से वन विभाग द्वारा दोनों ही जंगलों को चारों ओर चैन लिंकिंग व बाउंड्री वॉल निर्मित कर दिए जाने से वन्य प्राणी केवल अपने ही क्षेत्र में विचरण करने बाध्य हैं इसकी सुरक्षा के लिहाज से उठाए गए कदम से वन प्राणियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। पिछले और 10 वर्षों से यहां वन्य प्राणियों की संख्या सतत कम होती जा रही है। अब यहां इन वन्यजीवों के वश वृद्धि का उपाय तलाशना आवश्यक हो गया हैद्य साधन वृक्षारोपण हेतु करना होगा विशेष पहल जिला मुख्यालय से 25 से 30 किलोमीटर की परिधि में 6 बड़े सीमेंट संयंत्र के अलावा दर्जनों छोटी औद्योगिक इकाइयां स्थित है। जबकि खैरवारडीह के समीप ग्राम कुकुर दी सेमराडी में अल्ट्राटेक का नया सीमेंट संयंत्र स्थापित हो रहा है। इन संयंत्रों की मशीनों भारी वाहनों के आवागमन खदानों में विस्फोटक का असर प्रभावित ग्रामों में तापमान वृद्धि के रूप में भी सामने आ रहा है। वर्तमान में छोटे क्षेत्र में विस्तृत यह जंगल ही क्षेत्र वासियों के लिए प्राकृतिक कूलिंग का कार्य कर रहे हैं भविष्य में संयंत्र व खदानों के विस्तारण से तापमान में और अधिक वृद्धि संभावित है। अत: प्रभावित क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण हेतु विशेष पहल करने की आवश्यकता प्रकृति प्रेमियों द्वारा महसूस किया जा रहा है।

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