दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 1 अगस्त। अवैध खनिज उत्खनन, परिवहन व भण्डारण के मामले में जनप्रतिनिधियों के शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं होती है जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में सदस्यों ने यह मुद्दा जोरशोर से उठाते हुए खनिज महकमा के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाया।
सदस्य चंद्रकला मनहर ने कहा कि उनके क्षेत्र के ग्राम दारगांव, बिरोदा, हरदी में अवैध रूप से रेत उत्खनन के मामले में उन्होंने विभाग को कई बार शिकायत की इसी तरह उनके क्षेत्र में संचालित पत्थर खदानो से बिना रायल्टी के अवैध रूप खनिज परिवहन किए जा रहे मगर सूचना के बावजूद कार्रवाई नहीं होती विभाग ने अवैध उत्खनन व परिवहन के गत 205 प्रकरण दर्ज कर अर्थ दंड वसूली है, उनकी शिकायत पर भी टीम गई थी मगर कोई नहीं मिले टीम लिमिटेड होने के कारण पहुंचने भले विलंब हो सकती है। उनके जवाब पर मनहर ने खनिज अधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाते कहा जिस तरह अवैध परिवहन हो रहे वे होते तो 500 प्रकरण दर्ज होते सदस्य लक्ष्मी साहू ने भरदा अवैध रेत उत्खनन एवं अवैध मुरूम परिवहन का मुद्दा उठाते कहा कि शिकायत करने पर अधिकारी फोन ही नहीं उठाते तो शिकायत किससे करे।
इस पर खनिज अधिकारी का कहना था कि एसडीएम, तहसीलदार व पुलिस भी कार्रवाई कर सकती है मनहर ने ग्राम पेंड्रीतराई में संचालित पत्थर खदान की हेवी ब्लस्टिंग से आसपास के घरों में दरारे पडऩे की शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं होने से नाराजगी जाहिर की जिला खनिज अधिकारी ने इस पर कहा कि तकनीकी जांच उनके अंदर नहीं है वे सिर्फ रायल्टी देखते हैं। मामले में खदान सुरक्षा निदेशालय को जानकारी दे दी गई है। दारगांव सहित अनेक स्थानों में अवैध रेत भण्डारण के मामले में भी विभागीय अधिकारी के जवाब से सदस्य असंतुष्ट थे।
हर्षा लोकमणी चंद्राकर ने कहा कि वन विभाग हर साल पौधरोपण करते है मगर पेड़ कहां है, जिस हिसाब से पौधरोपण किए जाते है। पूरा जिला हराभरा हो जाना चाहिए उतई पाटन सडक़ चौड़ीकरण में हटाए गए पेड़ का भी पता नहीं है। इस पर वन विभाग के अधिकारी का कहना था कि पता करता हूं वहीं उपाध्पक्ष अशोक साहू ने वन विभाग के सांठ गांठ से पेड़ कटाई का आरोप लगाते मामले में जांच किए जाने मांग रखी इसी प्रकार विभिन्न मार्गों के चौड़ी करण के दौरान काटे गए पेड़ों के एवज में अब तक पौधरोपण नहीं होने की बात कहते नाराजगी जाहिर की, वहीं जनपद अध्यक्ष देवेन्द्र देशमुख ने शासन की योजना के तहत पौधरोपण करने वाले किसानो को इसके काटने की अनुमति नहीं मिल पाने का मुद्दा उठाया।