रायगढ़
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 1 अगस्त। प्रतिष्ठा इंन्फ्राकॉन लिमिटेड के नाम से फर्जी संस्था बनाकर रायगढ़ के चक्रधर नगर क्षेत्र के निवेशकों को कम समय में अधिक ब्याज और कम समय में रकम दोगुना करने का लालच देते हुए लाखों रूपये की धोखाधड़ी करने के मामले में निक्षेपकों का संरक्षण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश ने कंपनी के संचालक गोपाल गढ़ेवाल सहित 6 आरोपियों को दोष सिद्ध करार देते हुए अलग-अलग धाराओं में इनमें से प्रत्येक आरोपी को चार वर्ष के कारावास और 9 लाख 5 हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि आरोपीगण गोपाल गढ़ेवाल, नारायण प्रसाद, मनहरण लाल कैवर्त, महादेव सोनी, अमित सरकार, शुभयान बनर्जी एवं संजीव गुहा ने आपस में मिलकर प्रतिष्ठा इंन्फ्राकॉन लिमिटेड नामक वित्तीय स्थापना का गठन निक्षेपित धनराशि पर कम समय में ज्यादा लाभ मिलने का झांसा देकर उक्त कंपनी में निवेशित करने के लिये कपटपूर्वक या बेईमानी से उत्प्रेरित करने का अपराधिक षडय़ंत्र कर उसकी पूर्ति के अग्रसरण में 03 मार्च 2014 से 31 जनवरी 2016 के मध्य रायगढ़ जिले के थाना चक्रधर नगर क्षेत्र के अंतर्गत प्रार्थिया विमला यादव 36 हजार रूपये, उसके पुत्र बबलू से 7 हजार 2 सौ रूपये, तुलसी बाई से 10 हजार 8 सौ, सावित्री चौहान से 8 हजार 64 रूपये, आमना खान से 10 हजार 8 सौ, पति नजर खान से 10 हजार 8 सौ, सुशीला चौहान से 48 हजार रूपये, सायजान अली से 54 हजार रूपये, चंदा चौहान से 6 हजार रूपये, विशाखा चौहान से 7 हजार 2 सौ रूपये, शहीदा बी से 12 हजार रूपये, फुलसुम बेगम से डेढ हजार रूपये, जगदीश यादव से 15 हजार 8 सौ रूपये, विश्वनाथ यादव से 31 हजार, झसकेतन चौहान से 9 हजार 4 सौ, झसकेतन के रिश्तेदारों से 60 हजार, मो. शमशीर उर्फ पिंटू खान के रिश्तेदारों 12 हजार रूपये, नारायण प्रसाद पुराईन से 12 लाख 75 हजार रूपये व दुर्गा पुराईन से 37 लाख रूपये कंपनी के खाते में जमा कराने के बाद अवधि पूर्ण होनें के पहले कंपनी को बंद कर फरार हो जाने के मामले में प्रार्थिया विमला यादव की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपीगणों के खिलाफ लिखित शिकायत के बाद धारा 420, 120 बी तथा छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 6 (5) तथा धारा 10 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जहां से उन्हें संगीन अपराध के जुर्म में जेल भेज दिया गया था।
करीब 8 साल पुराने इस मामले में प्रकरण उपार्पण पर निक्षेपकों का संरक्षण अधिनियम 2005 के पीठासीन अधिकारी विशेष न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार जैन ने दोनों पक्षों की सुनवाई पश्चात इस मामले में विभिन्न धाराओं के तहत आरोपियों को दोषी करार देते हुए इनमें से प्रत्येक आरोपी को धारा 420, 120 बी में दो वर्ष के कारावास तथा पांच लाख रूपये के अर्थदण्ड तथा छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 6 (5) के तहत एक माह का कारावास तथा पांच हजार रूपये अर्थदण्ड एवं तथा धारा 10 के तहत चार वर्ष का कारावास तथा चार लाख रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया है।
अर्थदण्ड न पटाने पर आरोपियों को अलग से अतिरिक्त कारावास भुगताने की भी व्यवस्था विशेष न्यायालय ने दी है। वहीं आरोपियों के द्वारा पटाये गए अर्थदण्ड में से निवेशकों की जमा राशि प्रतिकर के रूप में लौटाने की भी व्यवस्था की गई है। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक दीपक शर्मा ने पैरवी की।