धमतरी

नाग पंचमी: ढाई सौ साल पुराने नागेश्वर मंदिर में चतुर्भुजी नागदेव का दर्शन करने भक्तों की कतार
09-Aug-2024 3:31 PM
नाग पंचमी: ढाई सौ साल पुराने नागेश्वर मंदिर में चतुर्भुजी नागदेव का दर्शन करने भक्तों की कतार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 9 अगस्त। जिलेभर में आज नाग पंचमी मनाई गई। शहर के हटकेशर वार्ड स्थित ढाई सौ साल से अधिक पुराने नागेश्वर मंदिर में पर्व को लेकर सुबह से देर-रात तक भक्तों की भीड़ रही। यहां नागदेव के दर्शन करने सुबह 5 बजे से ही भक्तों की कतार लग गई थी। नागदेव को दूध से नहला कर परिवार की खुशहाली की कामना की।

हटकेशर वार्ड के बुजुर्गों का दावा है कि सर्पदंश की एक भी घटना नहीं हुई है। नागदेव को वार्डवासी इष्टदेव मानते है। किसी भी शुभ काम की शुरुआत के पहले मंदिर में पूजा करते है।

मंदिर के चारों ओर था

सांप, बिच्छू का बसेरा

हटकेशर वार्ड के बुजुर्गों ने बताया कि नागदेव मंदिर के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन आज तक इस वार्ड में सर्पदंश की एक भी घटना नहीं हुई है। जब छोटे थे, तब यह नागदेव मंदिर बरगद और पीपल के पेड़ों से ढंका था। चारों ओर सांप, बिच्छू का बसेरा था। लोग यहां जाने से घबराते थे। मान्यता है कि कलचुरी शासनकाल सन 900 से 1300 ई में हाटकेश्वर में राजा अखरा का प्रमाण है। इसे वार्डवासी अखरा देव के नाम से पूजते हैं।

नागदेव की प्रतिमा की

 बाईं ओर सर्पाकार आकृति

हटकेशर वार्ड में 255 साल से भी अधिक पुरानी नागदेव की चतुर्भुजी प्रतिमा है, जो मुरुम से बनी है। नागदेव की प्रतिमा के बाईं ओर सर्पाकार आकृति है। पुराविदों की मानें तो मूर्तियां पद्मासन की योग मुद्रा में हैं। वार्डवासी नागदेव को अपना इष्टदेव मानते हैं। कोई भी शुभ काम के पहले यहां पूजा-अर्चना के बाद शुरू करते है। मंदिर परिसर में भिंभोर (सांप का बिल) है, यहां नाग-नागिन का बसेरा है। वार्ड में एक भी सर्पदंश की घटना नहीं हुई। करीब 1 करोड़ की लागत से मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है। स्वरूप रामेश्वरम धाम का दिया जा रहा है।

 

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