सरगुजा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 10 अगस्त। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी कांवरिया संघ उत्तर वाहिनी सारासोर से जल भरकर सावन सोमवार के चौथे सोमवार को बाबा भोलेनाथ के मंदिर शिवपुर धाम में बाबा जलेश्वर नाथ में जलाभिषेक करेंगे।
इस अवसर पर क्षेत्र के समस्त श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर जलाभिषेक में शामिल होकर पुण्य के भागीदार बने। कार्यक्रम 11 अगस्त दिन राविवर को रात्रि 8 से रात्रि 12 बजे तक मध्यमिक शाला चिंगराडांड प्रांगण में शिव चर्चा एवं भजन शरण लाल, अमृतसाय, सोनू पैकरा, उतरा लाल एवं साथियों द्वारा किया जाएगा।
रात्रि विश्राम पश्चात 12 अगस्त सोमवार को भोर में 5 बजे सारासोरो से जल उठाव कर डीजे की धुन पर नाचते गाते शिवपुर की ओर प्रस्थान करेंगे। इस दौरान कांवरिया संघ ने जलाभिषेक में सम्मिलित होने वाले सभी श्रद्धालुओं से कांवर एवं गेरुआ वस्त्र धारण करने आग्रह किया है।
ज्ञात हो कि कांवरिया संघ हरिहरपुर, परमेश्वरपुर, मटिगड़ा, सिंघरी, दवनकरा, केवरा, सेमराखुर्द, पोड़ी, सरहरी, प्रतापपुर सहित क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों के हजारों कांवरिया कावड़ यात्रा में शामिल होते हैं। जो प्रतापपुर क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक कावड़ यात्रा होती है।
इस दौरान श्रद्धालुओं द्वारा जगह-जगह जलपान, स्वल्पाहार व भंडारे की विशेष व्यवस्था की जाती है। यह स्थल शिवपुर तुर्रा के नाम से है प्रसिद्ध, शिव मंदिर के अंदर जलकुण्ड में अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग हैं विराजमान
विदित हो कि सूरजपुर जिला अंतर्गत प्रतापपुर से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा में पहाड़ों की पीठ पर ग्राम पंचायत शिवपुर में शिवपुर तुर्रा नामक स्थल प्रसिद्ध है। यहीं शिव मंदिर के अंदर जलकुण्ड में अर्द्धनारीश्वर शिवलिंग विराजमान हैं। इस शिवलिंग में शिव एवं पार्वती दोनों के रूप (चिन्ह) स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। इसलिए इस दुर्लभ शिवलिंग को जलेश्वरनाथ अर्द्धनारीश्वर महादेव कहते हैं।
स्थानीय लोग इसे तुरेश्वर महादेव के नाम से भी पुकारते हैं। शिवलिंग के बगल से विशाल चट्टान के मध्य खोह से अविरल जलधारा निकलती हुई कुण्ड के शिवलिंग की परिक्रमा करती हुई नीचे एक बड़ी टंकी में गिरती है। इस जल को चार धारा पुरुषों के लिए एवं तीन धारा महिलाओं के लिए स्नान घर में प्रवाहित किया गया है। अन्तत: इन सातों धाराओं का पानी एक तालाब में एकत्रित होता है, जिससे शिवपुर एवं बैकोना गाँव के खेतों की सिंचाई होती है।