रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 सितंबर। ओडिशा मूल के लोगों ने रविवार को नुआखाई पर्व मनाया । इस मौके पर राजधानी के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में विशेष पूजा अर्चना में बड़ी संख्या में स्त्री पुरूष बच्चे शामिल हुए। उत्तर विधायक एवं जगन्नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष पुरन्दर मिश्रा के नेतृत्व में पत्रकार साथियो एवं दर्शन करने आये आम जनमानस के साथ भगवान जगन्नाथ जी की आरती की।
श्री मिश्रा ने बताया कि नुआखाई ओडि़शा का प्रमुख लोक-पर्व है। यह पर्व पश्चिम ओडि़शा के सीमावर्ती छत्तीसगढ़ में भी मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद, महासमुन्द, रायगढ़, जशपुर, धमतरी सहित बस्तर संभाग के कुछ जिले भी इनमें शामिल हैं, जहाँ पड़ोसी राज्य की तरह उत्कल संस्कृति से जुड़े लाखों लोग इसे पारम्परिक रीति-रिवाजों के साथ उत्साह से मनाते हैं।
नुआखाई भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है। ‘‘नुआखाई‘‘ का शाब्दिक अर्थ है ‘‘नया खाना‘‘ (नुआ = नया, खाई = खाना)। खेतों में खड़ी नई फसल के स्वागत में यह मुख्य रूप से ओडि़शा के किसानों और खेतिहर श्रमिकों द्वारा मनाया जाने वाला पारम्परिक त्यौहार है, लेकिन समाज के सभी वर्ग इसे उत्साह के साथ मनाते हैं। लोग ‘नुआखाई जुहार’ और ‘भेंटघाट’ के लिए एक-दूसरे के घर आते-जाते हैं। पहले यह त्यौहार भादों के शुक्ल पक्ष में अलग-अलग गाँवों में अलग-अलग तिथियों में सुविधानुसार मनाया जाता था।
गाँव के मुख्य पुजारी इसके लिए तिथि और मुहूर्त तय करते थे, लेकिन अब नुआखाई का दिन और समय सम्बलपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारी तय करते हैं। इस दिन गाँवों में लोग अपने ग्राम देवता या ग्राम देवी की भी पूजा करते हैं। नुआखाई के एक दिन पहले नये धान की बालियों के साथ चुड़ा (चिवड़ा ), मूंग और परसा पत्तों और पूजा के फूल खरीदे जाते हैं।