गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा-राजिम, 9 सितंबर। पू. संघमित्रा श्रीजी ने कहा कि दुनिया में हर इंसान भयमुक्त होकर जीना चाहता है। अपनी स्वतंत्रता पर आंच आए ऐसा कोई पसंद नहीं करता। निर्भय या अभय रहकर ही आत्म विकास संभव है, किंतु इस स्थिति को प्राप्त करने के लिए सहारा भी ऐसे परमात्मा का चाहिए जो स्वयं भयमुक्त हो। भक्ति परमात्मा के करीब होने का सहजतम मार्ग है भक्ति में भाव पूर्ण होकर समर्पण और साधना के साथ विनय का जन्म होता है। पर्वाधिराज पर्व पर्युषण परमात्मा के साथ संबंध जोडऩे का सुअवसर है।
उन्होंने सभी भक्तों को प्रेरणा दी कि पर्व दिवसों में प्रतियोगिता न होकर परमात्मा भक्ति होनी चाहिए क्योंकि प्रतियोगिता राग द्वेष की जनक है। पूज्य श्रीजी ने कहा कि भक्ति कर तो ऐसी भक्ति कर जो प्रभु को रिझावे। तू क्या मिलने जाए, प्रभु खुद मिलने आवे। आरती के पश्चात भक्ति के कार्यक्रम में वीरा ग्रुप, अर्हम बहु मंडल, मनोहर बहु मंडल, एसपीजी ग्रुप, स्नात्र पूजन मंडल व गिरीराज सेवा समिति व संघ के नवोदित गायकों ने बढ़ चढ़ कर भक्ति संध्या में अपनी प्रस्तुती दी। शनिवार को अभिषेक दुग्गड़ व उनके साथियों ने गिरीराज शत्रुंजय की महिमा व दादा आदिनाथ का स्मरण करते हुए प्रस्तुति दी।