बलौदा बाजार
एक का रसेड़ा में अंतिम संस्कार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार,10 सितंबर। जिला से लगे ग्राम मोहतरा में रविवार की शाम आकाशीय बिजली की चपेट में आने से सात युवकों की मौत के दूसरे दिन उनका अंतिम संस्कार किया गया। बारिश के बीच सैकड़ों नम आंखों ने छह अर्थियों को कंधा देकर एक साथ विदा किया।
रविवार की शाम आकाशीय बिजली की चपेट में आकर जान गंवाने वाले सुरेश साहू, संतोष साहू, पप्पू साहू, पोखराज विश्वकर्मा, थानेश्वर साहू, देवकुमार देवदास की अर्थी सोमवार को एक साथ उठी। वहीं विजय साहू का रसेड़ा के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था।
गांव के हर किसी व्यक्ति की आंखें नम थी, क्योंकि सात मृतकों में पांच साहू समाज के थे, इसलिए अंतिम संस्कार कार्यक्रम में जिले और प्रदेश से साहू समाज के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे।
बारिश से पीछा छुड़ाने पेड़ की तरफ भागे तो मौत पीछे पड़ गई
उल्लेखनीय है कि रविवार की शाम से सभी दोस्त मोहतरा के नवा तालाब के किनारे बैठे थे। अचानक मौसम का मिजाज बदला और शुरू हुई बारिश से पीछा छुड़ाने के लिए पेड़ की ओर भागे लेकिन उन्हें नहीं मालूम था की मौत उनका पीछा कर रही है। बमुश्किल कुछ ही मिनट पेड़ के नीचे खड़े हुए थे कि जोरदार आवाज के साथ गाज ने 7 लोगों की आवाज हमेशा के लिए बंद कर दी। जबकि हादसे में तीन और भी घायल हुए थे।
नर्स बेटी ने मां के सामने कई बार की पिता की जांच
पूरी घटना में कुछ अहम मॉर्निंक पहलू भी सामने आए हैं। आकाशीय बिजली की चपेट में आए सभी सातों लोगों को इस उम्मीद से जिला अस्पताल लाया गया था कि शायद इनमें कुछ सांस बच्ची हो, इस दौरान नर्सिंग कोर्स कर रही 19 वर्ष की कौशल्या साहू भी मृतकों और घायलों को अस्पताल लाई।
एंबुलेंस से उतरते ही वह स्ट्रेचर में पड़े सबों को इमरजेंसी वार्ड में भेजती जाती है। पांच शवों को अंदर भेजने के बाद छटवें स्ट्रेचर पर पिता का 80 फीसदी जल चुका शरीर था और तभी अंदर से आवाज आती है कि अब यहां जगह नहीं है। बचे लोगों को बाहर ही रखना है। अंदर नहीं लाना है। ऐसी विषम परिस्थिति में नर्स बेटी ने खुद मोर्चा संभाला और अंदर से जांच मशीन लेकर आई। स्ट्रेचर पर पड़े पिता की बाहर ही जांच की, एक नहीं तीन-तीन बार सांस टटोली, सांसों की तलाश में पिता पर ठहरी नजरे निराश होकर जब उठी तो सामने खड़ी मां की नजरों का सामना नहीं कर सकी। वापस नजर झुका कर बोली मां पापा नहीं रहे।
सभी मृतक परिजनों परिवारों के भरण पोषण का एकमात्र सहारा थे
सभी मृतक एकमात्र कमाने वाले थे जिनके भरोसे पूरा परिवार चलता था। देवकुमार देवदास घर का इकलौता चिराग था जो गांव में ही ग्राहक सेवा केंद्र चलता था। उसी तरह बाकी सभी 6 मृतकों पर भी परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी थी। जिनकी मौत के बाद सभी परिवारों को गहरे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
मां का मन आशंकाओं से पहले ही घिर गया था
उधर विजय घर में बिना किसी को बताए ही मोहतरा के लिए निकल निकल गया था। खराब मौसम और लगातार बारिश की कडक़ड़ाहट के बीच आकांक्षाओं से भरे मां का मन बेचैन हो चुका था और वह बार-बार पूछ रही थी कि फोन लगाकर पूछो विजय कहां है।
3 किलोमीटर का सफर बना जिंदगी का आखिरी सफर
19 वर्ष के रसेड़ा निवासी विजय साहू को रविवार की शाम उनका दोस्त राहुल साहू ने मोहतरा में देवकुमार देवदास से मिलने बाइक से आए थे। वह तालाब के किनारे बैठे देव कुमार के पास विजय को छोडक़र गुटखा लेने दुकान की ओर चला गया था। इस दौरान तेज बारिश के साथ बिजली कडक़ने लगी।
गुटखा लेने आए राहुल गुटखा लेकर वापस जा ही नहीं पाया था और उसे खबर मिली कि बिजली गिरने से उनके दोस्त विजय व देवकुमार समेत पांच और लोगों की भी मौत हो गई।