सारंगढ़-बिलाईगढ़
ग्रामीणों ने खोला मोर्चा, जिलाधीश से शिकायत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 29 सितंबर। वन अधिकार पट्टा देने सरपंच-सचिव पर ग्रामीणों को परेशान करने का आरोप लगा है। इसे लेकर ग्रामीणों ने मोर्चा खोला और सरपंच-सचिव की मनमानी से तंग आकर कलेक्टर सारंगढ़ से लिखित शिकायत भी की है।
शिकायत में उल्लेख है कि ग्राम तेन्दुवा ग्राम पंचायत अमलीपाली -ब के आवेदक गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले मजदूर भूमिहीन व्यक्ति हंै, जो अपने पिता-पूर्वजों के जमाने से अर्थात 70-75 वर्ष पूर्व से ग्राम तेन्दुवा प.ह.नं.54 रा. नि. म. सालर ग्राम पंचायत अमलीपाली-ब जनपद पंचायत सारंगढ़ तहसील सारंगढ़ जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ (छ.ग) स्थित शासकीय वन भूमि पर काबिज होकर कड़ी मेहनत-मजदूरी करते हुये कृषि योग्य भूमि बनाकर कृषि काश्तकारी करते चले आ रहे हैं तथा शासन के महत्वाकांक्षी योजना वन अधिकार पत्र हेतु पूर्णत: योग्य एवं पात्र हैं।
लेकिन सरपंच संतराम और सचिव द्वारा इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा। ये गरीब मजदूर विगत 4 साल से सरपंच सचिव और पटवारी के पास दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हंै।
कलेक्टर से की गई शिकायत की मानें तो ग्राम पंचायत अमलीपाली -ब के सरपंच संत्तराम पटेल चुनाव के समय से ही तुम लोग मेरे पक्ष में मतदान नहीं किये हो कह कर इन गरीबों से द्वेष भावना एवं आपसी रंजिश रखता है, जिस उनके उन्हें शासन के किसी भी योजना का लाभ दिलाने के पक्ष में नहीं रहता है! इनकी मानें तो इसी कारण काबिज भूमि का इनके नाम से वन अधिकार पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।
सरपंच ने पत्नी को बनाया वन समिति का अध्यक्ष
शिकायत में कहा गया है कि सरपंच संतराम पटेल द्वारा स्वयं बेजा लाभ लेने की मंशा से शासन के सभी नियम एवं शर्तों को दरकिनार करते हुए अपने पत्नी शकुन्तला पटेल को वन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है तथा सरपंच द्वारा सचिव एवं हल्का पटवारी से सांठगांठ एवं मिलीभगत करते हुए अपने स्वयं के नाम से तथा अपनी पत्नि वन समिति की अध्यक्ष शकुंतला पटेल के नाम से व अपने परिवार के सदस्यों सहित अन्य नजदीकी हितैषी व्यक्ति जो कि वन अधिकार पत्र के लिये पूर्णत: अयोग्य एवं अपात्र हैं के नाम से भी पैसे का लेनदेन कर वन अधिकार पत्र जारी कराया गया है।
सरपंच सचिव खुलेआम मांगते हैं रिश्वत
आवेदकगण के अनुसार सरपंच एवं सचिव द्वारा जमीन के कब्जा अनुसार वन अधिकार पत्र जारी करने के लिये अवैधानिक रूप से रकम की मांग किया जाता है, जो पैसा का चढ़ावा देता है उनका काम होता है जो नहीं देता उन्हें सरपंच सचिव मिलकर परेशान करते हैं। उक्त मामले में आवेदकों ने कलेक्टर को बताया कि उन्हें भी वन अधिकार पट्टे कि यूज में मोटी रकम मांगी गई जिसे इनके द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण देने हेतु असमर्थता जाहिर किया गया। जिस पर क्रोधित सरपंच ने इनके द्वारा प्रस्तुत आवेदन को जानबूझकर अस्वीकृत कर दिया जाता है जिस कारण हम वन अधिकार पत्र की हर बार वंचित हो जाते हैं।
पीडि़त ग्रामीणों ने सरपंच सचिव हल्का पटवारी द्वारा मिलीभगत एवं सांठगांठ कर सरपंच, सरपंच पत्नी वन समिति के अध्यक्ष, सरपंच के परिवार के सदस्यों, उनके नजदीकी व हितैषी व्यक्तियों के नाम से बनाये गये अपात्र वन अधिकार पत्र को निरस्त किये जाने तथा आवेदकगण को उनके कब्जे की भूमि का वन अधिकार पत्र प्रदान करने हेतु कलेक्टर से निवेदन किया है तथा दोषी सरपंच, सचिव, अध्यक्ष एवं पटवारी पर कठोर कार्रवाई की अपील की गई है।