बस्तर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 10 अक्टूबर। आजादी के इतने वर्षों के बाद ग्रामीणों को आज तक लाइट के साथ ही सडक़ के लिए भी तरसना पड़ रहा है। अगर कोई ग्रामीण बीमार हो जाता है तो एम्बुलेंस मिलना तक दूभर हो जाता है, ऐसे में परिवार के लोगों को कभी खाट, कभी झूला तो कभी अन्य सुविधाओं के तहत मरीजों को कई किमी का सफर तय करते हुए स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाया जाता है। ऐसा ही एक मामला दरभा क्षेत्र का देखने को मिला, जहाँ मरीज को परिजनों के द्वारा बांस में रस्सी बांधकर कांवर पर बिठाकर कंधे पर लादकर स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाया गया।
बताया जा रहा है कि बस्तर जिले के दरभा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला एलंगनार का इलाका आश्रित ग्राम कनकापाल के मालापारा तक सडक़ नहीं होने से 10 किलोमीटर का लंबा सफर मरीज को कंधे पर ढोकर चलने की मजबूरी दिखाता है, गांव के लोगों को बिजली, पानी तो मिल जाती है, लेकिन एम्बुलेंस के लिए कई किमी तक पैदल चलना पड़ता है।
बात करें अगर सुविधा की तो खोटापदर गांव तक पहुंचाने के बाद ही एंबुलेंस की सुविधा मिलने की बात कही जाती है। बताया जा रहा है कि उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त चैतू राम नाग को उसके परिजन कंधे पर ढोकर ले जाते हुए दिखाई दिए, इस फोटो को सोशल मीडिया में वायरल किया गया।
इस मरीज के साथ ही कनकापाल के ही पदरपारा में उल्टी- दस्त का एक और मरीज को भी इसी तरह से कंधे में ढोकर ले जाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि दरभा से नजदीक पडऩे वाले तोंगपाल के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पीडि़तों को उपचार के लिए ले जाना पड़ता है।