बस्तर

गढक़लेवा में छत्तीसगढिय़ा एवं बस्तरिया व्यंजनों का लुत्फ लेने भीड़
02-Jan-2021 2:41 PM
गढक़लेवा में छत्तीसगढिय़ा एवं बस्तरिया व्यंजनों का लुत्फ लेने भीड़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 2 जनवरी। समुचे छत्तीसगढ़ राज्य की भांति संभाग मुख्यालय जगदलपुर में राज्य शासन के निर्देशानुसार स्थापित किए गए गढक़लेवा में पहुंचकर लोग छत्तीसगढिय़ा एवं बस्तरिया व्यंजनों का लुत्फ उठा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ी एवं स्थानीय खान-पान तथा व्यंजनों को बढ़वा देने के साथ-साथ उनके संरक्षण एवं संर्वधन के लिए जगदलपुर शहर के शहीद पार्क परिसर में स्थापित किए गए गढक़लेवा लोगों के लिए प्रमुख आकर्षण केन्द्र बन गया है। इसके साथ ही जिला मुख्यालय जगदलपुर एवं जिले में एक मात्र स्थानीय खान-पान के केन्द्र होने से व्यंजनों का आनंद लेने बड़ी संख्या में लोग रोज गढक़लेवा में पहुंच रहे हैं।

जगदलपुर शहर के गढक़लेवा की सफल संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय पत्थरागुड़ा क्षेत्र के महामाया स्व-सहायता महिला समूह को दी गई है। इस 15 सदस्यीय समूह की महिलाओं को गढक़लेवा की संचालन के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित किया गया है। इस कार्य में दक्ष महिलाओं के द्वारा गढ़ कलेवा में प्रतिदिन चिला, फरा, ठेठरी, खुरमी, अईरसा, मुंग बड़ा, उड़द बड़ा, दोसा आदि के अलावा छत्तीसगढ़ी एवं बस्तर के व्यंजन बनाया जा रहा है। इस गढक़लेवा में प्रतिदिन बढ़ी संख्या में लोग पहुंचकर व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं। इस गढक़लेवा की संचालन की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूह को मिलने से उनके रोजगार का भी बेहतर जरिया मिला है। गढ़ कलेवा से महिलाओं को प्रतिदिन 4 हजार रूपए की आमदानी हो रही हैं। इसके अलावा राज्य शासन के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा सभी शासकीय कार्यालयों के बैठकों एवं आवश्यक आयोजनों के दौरान गढक़लेवा से ही व्यंजन मंगाए जाने के निर्देश हैं।

लाल बहादुर शास्त्री वार्ड जगदलपुर निवासी धमेन्द्र धुर्वे ने छत्तीसगढ़ सरकार के गढ़ कलेवा की शुरूआत करने की इस अभिनव पहल की सराहना की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गढ़ कलेवा की शुरूआत कर छत्तीसगढ़ी एवं स्थानीय व्यंजनों को बचाने तथा बढ़ावा देनेे हेतु सराहनीय कार्य किया गया है। डिमरापाल जगदलपुर निवासी राजकुमार मेरावी ने भी गढ़ कलेवा की शुरूआत को छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री की छत्तीसगढिय़ा सोच बताया है।

उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ एवं बस्तर के खान-पान के संरक्षण एवं सर्वधन के अलावा इसके संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह को देकर उन्हें स्वरोजगार प्रदान करने का कारगर प्रयास किया गया है।

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