कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
चिरमिरी, 18 दिसंबर। भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पूरी गंभीरता से किसानों के कल्याण एवं उनकी भलाई के लिए कटिबद्ध है। विगत छ: वर्षों में किसानों की भलाई के जितने काम मोदी सरकार ने किये हैं, उतने किसी और ने नहीं किये। साथ ही, हमारी सरकार देश के हर नागरिक के लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
भाजपा किसान मोर्चा अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने बयान जारी करते हुए कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करते हैं। देश देख रहा है कि हमारी नीयत पहले भी साफ़ थी और आने वाले दिनों में भी हम इसी दृष्टिकोण से किसानों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे। हम आशा करते हैं कि आंदोलनरत किसान संगठन भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को स्वीकार करेंगे। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की कॉपी आने के बाद इसका विस्तृत अध्ययन कर हम इस पर आगे वक्तव्य देंगे। सरकार पहले दिन से यह कह रही थी कि वार्ता से ही इस मुद्दे का समाधान हो सकता है. सरकार चाहती थी कि किसान संगठन बिंदुवार चर्चा कर जहां भी उचित संशोधन की जरूरत हो, उसे प्रस्तावित करें और हम उस पर अमल करने को तैयार है। सरकार ने भी किसान संगठनों से बैठक में कई बार यह आग्रह किया था कि कोविड के कारण महिलाओं और बच्चों को इस आंदोलन से घर भेज दिया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने भी किसान संगठनों से ऐसी ही अपील की है। सरकार ने किसान संगठनों से अपील करते हुए कहा था कि आप हाइवे को छोड़ कर अन्य वैकल्पिक जगहों पर अपना आंदोलन जारी रखें। किसान संगठनों को प्रदर्शन के लिए सरकार ने वैकल्पिक जगह भी मुहैया कराई थी। गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं किसान संगठनों से बात की थी, सुप्रीम कोर्ट ने भी आंदोलनरत किसान संगठनों से यही कहा है।
किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष श्री जायसवाल ने आगे कहा कि सरकार ने किसान संगठनों से 9 दौर की वार्ता की, हर वार्ता में सरकार ने यह सीधा संदेश दिया कि हर बिंदु पर सरकार चर्चा करने को तैयार है। कई मुद्दों पर सरकार ने किसान संगठनों की बात मानी भी लेकिन किसान संगठन क़ानून रद्द करने की मांग पर अड़े रहे। किसान संगठनों के साथ सरकार की वार्ता लगातार सकारात्मक रही, किसान संगठनों ने स्वयं सरकार के क़दमों पर प्रसन्नता व्यक्त की। लेकिन विपक्ष और कुछ संगठनों ने अपने एजेंडे के तहत किसान संगठनों को गुमराह किया जिससे एक-दो बिंदुओं पर सहमति नहीं बन पाई। लोकतंत्र में सबको धरना, प्रदर्शन देने और असहमति का अधिकार है लेकिन हिंसा, पथराव और अराजकता की स्थिति नहीं होनी चाहिए। सरकार ने कई बार आशंका जताई और किसान संगठनों को भी आगाह किया इसमें असमाजिक तत्व शामिल हो गए हैं। ऐसी कई घटनाएं भी घटित हुई, क़ानून-व्यवस्था को लेकर जो चिंता केंद्र सरकार ने जाहिर की थी, आज वहीं चिंता सुप्रीम कोर्ट ने भी जाहिर की है।