दुर्ग
थनौद नाले के जीर्णोद्धार में 100 से ज्यादा महिलाएं जुटी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 21 जनवरी। भगीरथ की पौराणिक कहानी तो हम सब जानते हैं जिन्होंने गंगा नदी को धरती पर लाने का काम किया था। कुछ ऐसी ही कहानी है थनौद की महिलाओं की, जिन्होंने लंबे समय से अपने क्षेत्र में चली आ रही पानी की कमी को दूर करने की ठानी और आशा की किरण के रूप में सामने आया नरवा प्रोजेक्ट, जिसके तहत पहले ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करवाया गया। खास बात ये है कि नाला जीर्णोद्धार के काम में ज्यादातर श्रमिक महिलाएं ही हैं।
हम सभी जानते हैं पानी से महिलाओं का सीधा जुड़ाव है। हम सदियों से देखते आ रहे हैं पीने का पानी भरना महिलाओं की ही जिम्मेदारी है। पानी का स्त्रोत घर के पास हो या मीलों दूर, अपने सर पर गागर लेकर निकल पड़ती हैं महिलाएं, तब जाकर घरों में पानी पहुंच पाता है। इसके बाद खाना पकाना, घर की साफ-सफाई, लिपाई पोताई, बर्तनों की सफाई, मवेशियों को पानी पिलाना ये सभी जिम्मेदारी घर की महिलाओं की ही रही है, इसलिए पानी की कमी से सबसे ज्यादा महिलायें ही प्रभावित होती हैं। थनौद में भी यही दिक्कत थी।
गांव की महिलाओं ने देखा कि गांव में वर्षा का जल इक_ा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे, इसलिए भूजल स्तर भी कम था। बारिश का पूरा पानी व्यर्थ में बह जाता था। एक नाला था वो भी जीर्ण शीर्ण गर्मी में पानी की समस्या प्रबल हो जाती थी। 25 से 30 हैण्डपम्प तो थे मगर जमीन के अंदर पानी न होने के कारण सब सूख जाते थे। क्षेत्र के तालाब का पानी मार्च के बाद पानी सूख जाता था. जिससे महिलाओं को पीने का पानी भरने एवं निस्तारी के लिए दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के तहत संचालित नरवा परियोजना एक बहुआयामी योजना है, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण तो है ही लेकिन इस योजना में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसके तहत हो रहे जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार द्वारा अब वर्षा के जल को रोककर पानी की कमी से छुटकारा पाने की दिशा में बढिय़ा काम हो रहा है। जब थनौद की महिलाओं को पता चला कि नरवा योजना के तहत बहुत से जल संरक्षण के कार्य हो रहे हैं, साथ ही इस काम के लिए महात्मा गांधी नरेगा से मजदूरी भी मिलेगी। इस तरह एक पंथ और दो काज वाली बात महिलाओं को समझ आ गई। अपने गांव से पानी का संकट दूर करने के लिए महिलाओं ने थनौद नाले के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव ग्राम सभा में दिय। प्रस्ताव को मंजूरी मिली और काम शुरू हुआ
महिलाओं ने उठाई है नाला निर्माण की जिम्मेदारी
जिला पंचायत सीईओ एस. आलोक बताते हैं कि थनौद मार्ग से पुल तक नाला निर्माण के इस कार्य की खास बात ये है कि ये पूरा काम महिलाएं कर रही हैं। उन्होंने बताया कि 100 से अधिक महिलाएं नाला निर्माण में लगी हुई हैं। उन्होंने बताया कि महात्मा गाधी नरेगा के तहत 746 पंजीकृत परिवार हैं, जिनमें मजदूरों की 991 संख्या है। वर्तमान में 596 परिवार एक्टिव हैं, जिनमें से लगभग जिसमें 95 प्रतिशत महिलाएं हैं। श्री आलोक ने बताया कि नाले के बीच-बीच में डबरी निर्माण का कार्य किया जा रहा है, ताकि वर्षा रूपी वरदान से मिले ज्यादा से ज्यादा पानी को एकत्रित किया जा सके।