रायपुर

आचार्य महाश्रमण की 50 हजार किमी की पदयात्रा पूरी, नशामुक्ति और अहिंसा के लिए यात्रा
28-Jan-2021 5:54 PM
आचार्य महाश्रमण की 50 हजार किमी की पदयात्रा पूरी, नशामुक्ति और अहिंसा के लिए यात्रा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 28 जनवरी। अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्यश्री महाश्रमण ने गुरूवार को 50 हजार किलोमीटर की पदयात्रा पूरी की। उन्होंने देश के 23 राज्यों और नेपाल व भूटान में सद्भावना, नैतिकता के साथ नशामुक्ति की अलख जगाई।

आचार्य महाश्रमण की यात्रा लालकिले से वर्ष 2014 से निकली थी। आचार्यश्री देश के राष्ट्रपति भवन से लेकर गांवों की झोंपड़ी तक शांति का संदेश देने का कार्य कर रहे हैं। यात्रा के दौरान राजनेता हो या अभिनेता, न्यायाधीश हो या उद्योगपति, सेना के जवान हो या पुलिस के, विशिष्ट जनों से लेकर सामान्य जन तक जो भी आचार्यश्री के संपर्क में आता है, उनसे प्रेरित होकर अहिंसा यात्रा के संकल्पों को जीवन में उतारने के लिए प्रतिबद्ध हुआ है। आचार्यश्री की प्रेरणा से हर जाति, धर्म, वर्ग के लाखों-लाखों लोगों ने इस सुदीर्घ अहिंसा यात्रा में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया है।

महाश्रमणजी ने बारह वर्ष की अल्पआयु में अणुव्रत प्रवर्तक आचार्यश्री तुलसी के शिष्य के रूप में दीक्षित तथा प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के उत्तराधिकारी के रूप में प्रतिष्ठित आचार्यश्री महाश्रमण ने अब तक भारत के दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, असम, नागालैण्ड, मेघालय, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उडीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पांडिचेरी, आंध्रप्रदेश, तेंलगाना, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राज्य तथा नेपाल व भूटान की पदयात्रा कर लोगों को सदाचार की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया और उन्हें ध्यान, योग आदि का प्रशिक्षण देकर उनकी दुर्वृतियों के परिष्कार का पथ भी प्रशस्त किया। हृदय परिवर्तन पर बल देने वाले आचार्यश्री ने अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के माध्यम से भी जनता को प्रशिक्षित किया।

यात्रा के दौरान जहां बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी निरंजनानन्द, मौलाना अरशद मदनी जैसे विभिन्न धर्मगुरुओं ने आचार्यश्री से मिलकर उनके जनकल्याणकारी अभियान के प्रति समर्थन प्रस्तुत किया। आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी पदयात्राओं के दौरान प्रतिदिन 15-20 किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं। जैन साधु की कठोर दिनचर्या का पालन और प्रात: चार बजे उठकर घंटों तक जप-ध्यान की साधना में लीन रहने वाले आचार्यश्री प्रतिदिन प्रवचन के माध्यम से भी जनता को संबोधित करते हैं।

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