बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 फरवरी। एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से जांच पर लगाई गई रोक हटाने के लिये विशेष अनुमति याचिका दायर की है। इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के सात आईएएस सहित 12 नौकरशाहों की जांच होनी है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में तत्कालीन मंत्री के खिलाफ भी जांच की छूट दी थी।
सीबीआई भोपाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से पूर्व के अनेक उदाहरणों और कानूनी प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा है कि चूंकि हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई है इसलिये जांच पर रोक लगाई गई है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सीबीआई को एफआईआर दर्ज कर, सारे दस्तावेज कब्जे में लेकर जांच का आदेश बीते साल 30 जनवरी को दिया था। याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत गठित फिजिकल रेफरल रिहेबिलेशन सेंटर में संविदा कर्मचारी रहे हैं। उन्होंने अनेक तथ्यों के साथ याचिका में आरोप लगाया कि प्रदेश के नौकरशाह यहां तक के मंत्रियों ने मिलकर भाजपा शासनकाल के दौरान 10 साल में करीब 1000 करोड़ रुपये के फंड का दुरुपयोग किया। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा व जस्टिस प्रार्थ प्रतीम साहू की डबल बेंच ने इस मामले में जांच का आदेश सीबीआई को दिया था। इसमें विवेक ढांड, सुनील कुजूर, एम के राउत, बीएल अग्रवाल, आलोक शुक्ला और एमके श्रोती सहित 12 नौकरशाहों पर तथा समाज कल्याण विभाग की मंत्री रहीं रेणुका सिंह पर आरोप लगाये गये थे।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आईएएस अफसरों ने हाईकोर्ट में रिव्यू पिटिशन भी फाइल की थी लेकिन उन्हें यहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद प्रतिवादी सुप्रीम कोर्ट गये थे जहां 13 फरवरी 2020 को इन्हें फौरी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर रोक लगाने का निर्देश दिया और सीबीआई को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने कहा। इसके बाद कोरोना महामारी के कारण काफी दिनों तक अदालती कामकाज बाधित रहा। अब करीब एक साल बाद सीबीआई ने इस रोक को हटाने की मांग की है।
याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ने प्रतिवादी नौकरशाहों की ओर से सरकारी अधिवक्ताओं के उपस्थित होने पर भी आपत्ति दर्ज कराई थी।