कोरिया

पोषण पुनर्वास केंद्र से सुपोषित होकर जा रहे बच्चे
19-Feb-2021 5:40 PM
पोषण पुनर्वास केंद्र से सुपोषित होकर जा रहे बच्चे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 19 फरवरी।
कोरिया जिले के जिला अस्पताल परिसर में संचालित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए शासन स्तर पर अच्छी सुविधा के साथ उपचार प्रदान किया जा रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के लिए बच्चे को उचित डाईट के साथ माता तो भी डाईट प्लान के तहत प्रदान की जाती है और निर्धारित समय में कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का लक्ष्य रहता है।

इस संबंध में पोषण पुनर्वास केंद्र की केयरटेकर ममता सिंह का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों को लाने का सिलसिला कुछ कम हो गया था, परन्तु अब फिर कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है, बच्चे सुपोषित होकर घर जा रहे हैं, घर जाने के बाद भी उनकी लगातार मॉनिटरिंग की जाती है।
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर स्थित जिला अस्पताल परिसर में संचालित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों की नियमित रूप से विशेष चिकित्सकों द्वारा जांच भी की जाती है। 

विशेषज्ञ चिकित्सकों की देख रेख में सुपोषित करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसका लाभ जिले के कुपोषित बच्चों को मिल रहा है लेकिन बीते वर्ष कोरोना संक्रमण के फैलाव के चलते पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आई थी। वही लॉक डाउन के दौरान आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के कारण कुछ माह तक किसी ग्रामीण क्षेत्र से पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चे नहीं आ लाये जा रहे थे, लॉकडाउन समाप्त होने के बाद माह जुलाई से अब तक गिनती के ही विभिन्न आंगनबाडी केंद्रों से कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है। 

जिला अस्पताल परिसर में संचालित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में अब तक दर्जनों कुपोषित बच्चे सुपोषित होकर अपने घर लौट आये है। लेकिन कई बच्चों के परिजनों के द्वारा समुचित स्तर तक पोषण प्राप्त किये बिना ही घर लौट जाते है।

वर्ष  2019-20 में  92 कुपोषित बच्चे हुए सुपोषित
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला चिकित्सालय परिसर में संचालित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में वर्ष  2019-20 में विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुल 167 कुपोषित बच्चे यहां लाये गये थे जिनका समुचित उपचार के साथ डाईट प्रदान किया गया, जिनमें 92 बच्चे देख रेख व उपचार के बाद सुपोषित हो गये। वहीं 57 कुपोषित बच्चे पूरी तरह से रिकव्हर नहीं हो पाए। जबकि 10 बच्चे ऐसे रहे जिनके परिजन निर्धारित अवधि तक उपचार कराये ही अपने घर को लौट गए। यदि निर्धारित समय तक उपचार व देखभाल कराये होते तो ये बच्चे भी सुपोषण का स्तर प्राप्त कर जाते। 

उल्लेखनीय है कि इस दौरान मार्च 2020 के तीसरे सप्ताह में कोरोना संक्रण के चलते लॉकडाउन की स्थिति हो गई थी जिसके कारण जून माह तक एनआरसी में किसी आंबा केंद्र से कुपोषित बच्चे नहीं लाये जा रहे थे। यदि लॉक डाउन की स्थिति नहीं बनती तो एनआरसी केंद्र में आने व ठीक होने वाले बच्चों की संख्या कहीं अधिक रहती।

जुलाई 2020 से अब तक 27 लाए गए
कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलने के बाद गत वर्ष  2020 जुलाई से पुन: जिला चिकित्सालय परिसर में संचालित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों केा ग्रामीण क्षेत्रों के आंबा केंद्रों से लाने का क्रम शुरू हो गया। 
जुलाई 2020 से अब तक लगभग सात माह बाद तक कुल 27 कुपोषित बच्चे पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में लाए गए है। लाए गए 27 कुपोषित बच्चों में आधे से अधिक 18 की संख्या में कुपोषित बच्चे सुपोषित होकर घर लौट चुके हैं वहीं मात्र 5 बच्चे रिकव्हर नहीं हो पाये, जबकि  चार बच्चों के परिजन निर्धारित समयावधि के पूर्व ही अपने बच्चों को एनआरसी केंद्र से ले गये।

कोरोना काल में कुपोषित बच्चे कम संख्या में पहुंच रहे
जिला चिकित्सालय परिसर बैकुंठपुर में संचालित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में कोरोना संक्रमण के शुरू होने के बाद लगभग तीन माह से ज्यादा समय तक किसी भी आंगनबाडी केंद्र से कुपोषित बच्चे नहीं लाये जा रहे थे। इस दौरान आंबा केंद्र भी कोरोना संक्रमण के चलते बंद कर दिए गए थे जब हालात कुछ सामान्य हुई इसके बाद भी पोषण पुनर्वास केंद्र में ज्यादा कुपोषित बच्चे नहीं लाये जा रहे है। यही कारण है जुलाई 2020 के बाद अब तक सात माह से अधिक समय में सिर्फ 27 की संख्या में ही कुपोषित बच्चे एनआरसी केंद्र में लाये गये।

 

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