जान्जगीर-चाम्पा
वादाखिलाफी पर जमकर निकाली भड़ास, कहा हरियाली चौपट कर दी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदा, 26 फरवरी। गुरुवार को जांजगीर चांपा जिले के बलौदा के नवीन कॉलेज में मेसर्स इंस्पायर इंडस्ट्रीज प्रा.लिमिटेड के पर्यावरणीय लोक सुनवाई में क्षेत्र के ग्रामीणों ने जमकर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान इसके पूर्ववर्ती कम्पनी महावीर कोलवाशरी के वादाखिलाफी पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। ग्रामीणों का कहना था कि कम्पनी ने ग्रामीणों की जमीनों को बहला-फुसला कर कौड़ी के मोल जबरन किसी अन्य प्रयोजन हेतु ले लिया और बदले में वहां प्रदूषण से युक्त कोलवाशरी संयंत्र की स्थापना कर दिया। उस समय जितने भूमि को खरीदा गया था, उससे कहीं अधिक जमीन पर अवैध कब्जा कर संयंत्र लगा दिया, जिसके मार से प्रभावित क्षेत्र के ग्रामवासी और बलौदा नगरवासी भुगत रहे हैं। क्षेत्र की हरियाली को पूरी तरह चौपट कर दिए है।
पर्यावरणीय जनसुनवाई में परियोजना सार कम्पनी के वाइस प्रेसीडेंट डी इस राजपूत ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उसके बाद ग्रामीणों ने यह जनसुनवाई को प्रशासन की मिलीभगत से पूर्वनियोजित करार दिया। जनसुनवाई में 10 किमी के दायरे के किसी भी ग्राम पंचायत, बलौदा नगर में सुनवाई के लिए सूचना नहीं दी गई थी। सुनवाई में आम नागरिकों से ज्यादा पूर्ववर्ती संयंत्र के कर्मचारियों, प्रशासनिक अमला और पुलिस बल के जवान दिखे। नगर पंचायत बलौदा से गिने-चुने नागरिक ही पहुंचे थे। संयंत्र प्रभावित क्षेत्र के कुल जनसंख्या के 1 फीसदी लोगों को जानकारी नहीं थी।
ग्रामीणों का कहना था कि ग्राम पंचायत के द्वारा पूर्व में प्रस्ताव मिल चुका है, यह पर्यावरणीय सुनवाई दिखावे के लिए औपचारिकता की गई। इसके लिए पूरा प्रशासन संयंत्र स्थापना के लिए अलर्ट नजर आया। जनसुनवाई के विरोध में ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि जनसुनवाई प्रशासन के द्वारा जबरन कराई जा रही है। पूर्व में भी इसी कम्पनी की जनसुवाई को बीच में ही स्थगित किया गया था। आज भी वही कारण जस की तस बनी हुई है। यह जनसुनवाई ग्रामीणों के हित में नहीं है। प्रबंधन की बनाई गई ई आई ए रिपोर्ट भी झूठ और फर्जी है, वास्तविक परिस्तिथियां अलग है। जैसा कि पर्यावरण अधिकारी ने परियोजना सार से पहले जनसुनवाई के विषय में बताया कि कम्पनी प्रबन्धन की ओर से 10 सितम्बर 2019 को पर्यावरण मंत्रालय में आवेदन दिया गया था।
ज्ञात हो कि ई आई ए की अधिसूचना 2006 की अपेंडिक्स 4 की धारा 7.2 के अंतर्गत आवेदक कम्पनी के द्वारा जनसुनवाई के लिए दिए गए आवेदन प्राप्ति की तिथि के 45 दिनों के भीतर जनसुनवाई हो ही जानी चाहिए थी। परन्तु निर्धारित नियमों की अवहेलना करते हुए मेसर्स इंस्पायर इंडस्ट्रीज कोलवाशरी की जनसुनवाई लगभग 15 महीनों से भी ज्यादा समय बाद 25 फरवरी 2021 को रखी गई, जो किसी भी तरह से विधि-सम्मत नहीं थी। ऐसे मामलों में जबकि 45 दिनों में कम्पनी की जनसुनवाई सम्पन्न न कराई गई हो तो राज्य पर्यावरण संरक्षण मंडल का अधिकार स्वत: खत्म हो जाता है। अधिनियम के अनुसार फिर कम्पनी की प्रस्तावित जनसुनवाई की जिम्मेदारी केंद्र सरकार में हाथों में आ जाती है, तो यह जनसुनवाई शून्य घोषित होता है।
ग्रामीणों की आय का मुख्य स्रोत खेती किसानी पूर्व में लगे सयंत्रों से खराब हो गए हैं, जो और प्रभावित होंगे। हाल ही में क्षेत्र का प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो गया है, साथ कोयला धोने के लिए निरंतर पानी का दोहन होने से समूचे क्षेत्र में पानी की शुद्धता और स्तर काफी नीचे हो गया है,आने वाले समय में लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ेगा। ग्रामीणों का पर्यावरण और प्रशासनिक अधिकारियों से दो टूक शब्दों में कहा कि आप जनसुनवाई को निरस्त करें, अन्यथा हमारे कड़े विरोध का सामना,करें।
रमेश वैष्णव जिलाध्यक्ष वनवासी कृषि एवं ग्रामीण मजदूर संघ (भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध ) का कहना है कि आप कल्पना कर सकते हैं कि एक आम आदमी के लिए शासन द्वारा स्थापित नियमों का पालन करना कितना जरूरी होता है। जबकि निजी कम्पनियों के द्वारा न केवल राज्य शासन बल्कि केंद्र सरकार के द्वारा बनाये गए कड़े और आवश्यक पर्यावरणीय नियमों का खुला उल्लंघन किया जाता रहा है,और सबसे दु:खद स्थिति तब होती है,जब आप हम देखते है कि स्थानीय प्रशासन उन पर प्रतिबंध लगाने के बजाए उन्हें नियम कायदों को तोडऩे में सहयोग प्रदान करता है। इस तरह मेसर्स इंस्पायर इंडस्ट्रीज कोल वाशरी की प्रस्तावित जनसुनवाई फर्जी और विधि विरुद्ध है। ग्रामीणों ने कलेक्टर जांजगीर से इस जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग की है। निर्णय उन्हें लेना है, यद्यपि जनचेतना जिले के पर्यावरण के विनाश और संविधान के द्वारा स्थापित नियमों का उल्लंघन करने वाले हर पूंजीवादी संस्थाओं(कम्पनियों) के विरुद्ध संघर्षरत रहने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे संघ के लोग हर बार की तरह इस बार भी नियम विरुद्ध ढंग से की जाने वाली प्रस्तावित जनसुनवाई के विरुद्ध न्यायालयीन प्रक्रियाओं को अपनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
अंकुर पांडेय मुख्य नगर पंचायत अधिकारी का कहना है कि जनसुनवाई की कोई जानकारी नगर पंचायत को नहीं मिली है,तो हम लोगों को कैसे बताते। इस संयंत्र की जनसुनवाई से बलौदा के नागरिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।