बिलासपुर

छत्तीसगढ़ के मजदूर फिर वहीं लौटने लगे, जहां फंसे थे लॉकडाउन में
06-Apr-2021 7:54 PM
छत्तीसगढ़ के मजदूर फिर वहीं लौटने लगे, जहां फंसे थे लॉकडाउन में

जिन्होंने की थी मदद, सबसे पहले उन्हें बता रहे जिनसे मिली थी घर वापसी में मदद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 6 अप्रैल।
देश के कई राज्यों में कोरोना का दुबारा प्रकोप बढऩे के बावजूद छत्तीसगढ़ के मजदूर काम की तलाश में फिर वापस लौटने लगे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि वे पिछले साल की तरह दुबारा बड़े संकट से घिर सकते हैं। लौटने के बाद वे उन लोगों का आभार जता रहे हैं जिन्होंने घर लौटने में मदद की थी। इन मजदूरों को भी आश्वासन मिला है कि अब भी कोई मुसीबत आती है तो वे उनकी मदद करने के लिये तैयार हैं।

कथाकार, कवि व सामाजिक कार्यकर्ता तेजी ग्रोवर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए बताया है कि पिछले साल भोपाल में किस तरह छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले का एक जोड़ा अपने विवाह के एक दिन बाद ही निकलकर काम की तलाश में यहां पहुंचा था और आते ही लॉकडाउन में फंस गया था। उनका काम भी शुरू नहीं हो पाया तो हाथ में पैसे भी नहीं थे। वे उनके घर के पास एक अधबनी इमारत में बदहवास फंसे हुए थे, जिस तरह अन्य लाखों मजदूर देशभर में। तब उस नवदम्पती तरुण व सोना (बदला हुआ नाम) ने बताया कि परिवार को किसी तरह गर्मी में निकल जाना पड़ता है क्योंकि अपना घर बारिश की मार से उन्हें नहीं बचा पाता। वे साथ आये 7 अन्य लोगों की तरह दौडक़र घर चले जाना चाहते हैं और नहीं भी, क्योंकि वहां भी रोजी-रोटी नहीं है।

तेजी ग्रोवर ने जब उनकी इस समस्या को फेसबुक पर शेयर किया तो सबसे पहली मदद जाने माने कवि अशोक वाजपेयी से मिली। तब उन्होंने उन 9 लोगों के लिये एक सम्मानजनक राशि उनके खाते पर ट्रांसफर किये, जिससे न केवल वे वापस लौट सकें बल्कि अपने घर की मरम्मत कर सकें और कम से कम दो माह के राशन की व्यवस्था कर सकें।

वही तरुण और सोना दम्पती अब फिर भोपाल पहुंच गया है। उन्हें इन खबरों की चिंता नहीं है कि फिर से कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है। उन्हें लगता है कि लॉकडाउन यदि लगता भी है तो पिछली बार की तरह भयावह स्थिति पैदा नहीं होगी। इस बार ठेकेदार ने उसे अग्रिम राशि देकर बुलाया है साथ ही कोई अनहोनी हुई तो उन्हें भोपाल में सहारा देने वाले भले सामाजिक कार्यकर्ता मिल गये हैं।

तेजी ग्रोवर बताती हैं कि बीते साल अचानक हुए लॉकडाउन के बाद बनी परिस्थितियों से भोपाल व देश के अन्य भागों से जुड़े उनके साथी कार्यकर्ताओं ने सैकड़ों लोगों को घर वापस भेजने की व्यवस्था की थी। इनमें से बहुत से लोग अब वापस आ रहे हैं। आते ही हमसे फोन के जरिये सम्पर्क कर पिछले साल मिली मदद के लिये आभार जता रहे हैं। मुंगेली की सोना व तरुण जो अपने नवजात को लेकर वहां पहुंचा है, उसने तो भोपाल लौटने की खबर देते हुए यह खुशखबरी भी उन्हें दी।

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