राजनांदगांव
घरों-मंदिरों में श्रद्धाभक्ति का माहौल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 अप्रैल। नवरात्र पर्व के अष्टमी पर्व पर मंदिरों और घरों में ब्रम्हमुहूर्त में माताजी का विशेष श्रृंगार और आरती कर कोरोना संक्रमण के खात्मे के लिए प्रार्थनाएं की गई। मंदिरों में पुजारियों और घरों में परिवार के सदस्यों द्वारा अष्टमी पर्व पर माताजी का विशेष श्रृंगार कर आरती की गई। साथ ही विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर मंगल कामना की गई। चैत्र नवरात्र पर्व शुरू होते ही जिलेभर में श्रद्धाभक्ति का माहौल निर्मित है। आज अष्टमी पर्व पर कोरोना प्रोटोकाल के तहत मंदिरों में पुजारियों और घरों में परिवार के सदस्यों के बीच हवन संपन्न करते कोरोना संक्रमण के खात्मे की कामना की गई।
ज्ञात हो कि गत् 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्र पर्व प्रारंभ होने से मंदिरों में पुजारियों और घरों में श्रद्धालुओं ने ज्योति कलश प्रज्जवलित की। इसके अलावा श्रद्धालुओं द्वारा माताजी की आराधना को लेकर उपवास भी रखे गए। नवरात्र पर्व पर मंदिर से लेकर घर-घर देवी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जा रही है। कोरोना संक्रमणकाल के चलते मंदिरों में कोरोना गाईड लाइन के अनुसार पुजारी पूजा-अर्चना कर रहे हैं। श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
चैत्र नवरात्र के तहत मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश भी प्रज्जवलित की गई है, जहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना की जा रही है। आज अष्टमी पर्व पर देवी मां का विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिर व घरों में भक्तों ने श्रद्धाभक्ति के साथ देवी मां की पूजा-अर्चना की। इस वर्ष लोग सादगी के साथ पर्व अपने-अपने घरों में ही मना रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल और लॉकडाउन के चलते इस वर्ष डोंगरगढ़ में भी चैत्र नवरात्र मेला का आयोजन नहीं किया गया।
गंगाजल अर्पित कर होगा विसर्जन
इधर बर्फानी सेवाश्रम समिति ने कोरोना महामारी को देखते सिद्धपीठ में दर्शनार्थियों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। वहीं अब महाष्टमी हवन व ज्योति कलश विसर्जन में भी श्रद्धालुओं से बर्फानी आश्रम न पहुंचते अपने-अपने घरों में ही पूजा पाठ करने की अपेक्षा की है। चैत्र नवरात्र के अवसर पर सिद्धपीठ में पूजा- अर्चना व ज्योति कलश प्रज्जवलन आचार्यों द्वारा किया गया है। यहां 1237 ज्योति कलश प्रज्जवलित है। संस्था द्वारा महाष्टमी हवन पंडितों व संस्था के पांच सदस्यों द्वारा किया जाएगा। वहीं दुर्गा नवमीं पर श्रद्धालुओं द्वारा प्रज्जवलित ज्योति कलशों का विसर्जन मंत्रोच्चार के मध्य विधि-विधान से गंगाजल अर्पित कर किया जाएगा।