राजनांदगांव

श्मशान में चिताएं नहीं हो रही शांत
28-Apr-2021 1:50 PM
श्मशान में चिताएं नहीं हो रही शांत

फाईल फोटो

रोजाना आधा दर्जन कोरोना-मौतें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 अप्रैल।
जिले में कोरोना मौतों की रफ्तार में खास कमी नहीं आई है। अप्रैल के दूसरे पखवाड़े की तुलना में आखिरी सप्ताह मौतों की तादाद में थोड़ी गिरावट आई है। आलम यह है कि राजनंादगांव जिले में हर दिन आधा दर्जन कोविड संक्रमित मरीज दम तोड़ रहे हैं। रोजाना 5 से 6 लोगों की कोरोना बेरोकटोक जान ले रहा है। इस महामारी के सामने बुजुर्गों के अलावा जवान लोगों ने भी दम तोड़ दिया। 

कोरोना की दूसरी लहर से समूचे जिले में रोजाना मौत से शमशान में चिताएं शांत नहीं हो रही है। कोविड मरीजों की मृत्यु के बाद हालात काफी दयनीय हो गया है। कोरोना मौत से दुनिया को अलविदा कहने वाले लोगों के परिजन आखिरी दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं। वहीं कोविड प्रोटोकॉल की शर्तों के चलते दूर से ही अपने चहेतों को बिदाई दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से राजनांदगांव शहर के गोकुल नगर स्थित शमशान घाट के अलावा दीगर कस्बों के कब्रिस्तानों में भी स्थिति काफी भयावह स्थिति बनी हुई है। रोजाना शव जलाने वाले कर्मचारियों की भी सांसे फूलने लगी है। हालात यह है कि शमशान घाटों में चिताएं सुबह से देर रात तक सुलग रही है। चिताओं के शांत नहीं होने से कर्मचारियों को भी बदतर हालात ने चिंतित कर दिया है। 

राजनांदगांव शहर के अलावा दूसरे ब्लॉकों में भी कोरोना से स्वस्थ और सेहतपसंद लोगों की जान चली गई। बताया जा रहा है कि कोविड-19 की शर्तों का पालन नहीं करना भी लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया। कोरोनाग्रस्त होने पर लापरवाही बरतना भी लोगों की लेने का एक कारण बना। इस बीच दूसरी लहर से कोरोना मरीजों की बढ़ी रफ्तार अभी भी बदस्तूर जारी है। यानी कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद में गिरावट नहीं है। अप्रैल का पूरा महीना लॉकडाउन के साये में गुजर गया। इसके बावजूद कोरोना संक्रमित संख्या में कमी नहीं आई है।
 
बताया जा रहा है कि हालात लगातार खराब होने से प्रशासन भी परेशान हो गया है। अफसरों के सामने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों तक पहुंचाना है। राजनांदगांव जिले में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की किल्लत बरकरार है। हालांकि धीरे-धीरे ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा रहा है, लेकिन वेंटिलेटर के अभाव में मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। बहरहाल राजनांदगांव जिले के शमशान घाटों की स्थिति देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि कोरोना मौतों से चिताएं बुझ नहीं पा रही है। 

स्वास्थ्य कर्मियों की भी पूछपरख नहीं
फ्रंट लाईन में कोरोना से लड़ रहे स्वास्थ्य महकमे के मैदानी अमला भी वैश्विक महामारी से ग्रस्त है। स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमित होने के हालात में चिकित्सकीय सुविधाओं को लेकर पूछपरख नहीं हो रही है। इसी बात को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों में प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ी है। स्वास्थ्य कर्मचारी लगातार कोरोना मोर्चे पर हालात को सम्हालने के लिए डटे हुए हैं। इस लड़ाई में न सिर्फ चिकित्सक बल्कि निचले स्तर के कर्मचारी भी संक्रमित हुए हैं। इसके बावजूद गंभीर रूप से बीमार  स्वास्थ्य कर्मियों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। वेंटिलेटर की कमी के चलते कुछ कर्मचारी अब भी जीवन और मरण के हालात से जूझ रहे हैं। ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण कई कर्मचारी वेंटिलेटर के इंतजार में है। बताया जा रहा है कि कर्मचारियों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि जान जोखिम डालकर दूसरों का इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की विभागीय अनदेखी की जा रही है। 

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